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जे.पी. पाण्डेय (09 अप्रैल, 1976, भिलाई, दुर्ग) शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। वे भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा के अधिकारी रहे हैं। वे कविता, कहानी, यात्रा - वृत्तांत, शिक्षा एवं समसामयिक विषयों पर संपादकीय लेखन में संलग्न हैं। इनका कविता संग्रह ‘दरिया के दो पाट' प्रकाशित है। उन्हें अखिल भारतीय रेल हिंदी पुरस्कार, डॉ. भीमराव आंबेडकर साहित्यिक सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार मिला है।

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पगडंडी में पहाड़ (Pagdandi Me Pahad)

पगडंडी में पहाड़ (Pagdandi Me Pahad)

हिमाच्छादित पहाड़ की छटा, उनमें उमड़ते-घुमड़ते मखमली बादल, दूर तक कल-कल करते झरनों-सरिताओं के स्वर, देखने-सुनने में जितने मनमोहक होते हैं, वहाँ का जीवन उतना ही कठिन होता है। कभी भूस्खलन तो कभी बादल फटने जैसी घटनाएँ आमतौर पर देखी जाती हैं। सुख-सुविधाओ

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पगडंडी में पहाड़ (Pagdandi Me Pahad)

पगडंडी में पहाड़ (Pagdandi Me Pahad)

हिमाच्छादित पहाड़ की छटा, उनमें उमड़ते-घुमड़ते मखमली बादल, दूर तक कल-कल करते झरनों-सरिताओं के स्वर, देखने-सुनने में जितने मनमोहक होते हैं, वहाँ का जीवन उतना ही कठिन होता है। कभी भूस्खलन तो कभी बादल फटने जैसी घटनाएँ आमतौर पर देखी जाती हैं। सुख-सुविधाओ

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