निरोगी जीवन की कुंजी : विटामिन बी12क्या आप ऐसे मौसम में भी पंखा धीमा करने को कहते हैं, जब बाकी को गर्मी लग रही हो, क्योंकि आपका शरीर ठंड महसूस होने की चुगली करता है? या फिर आप हाथ-पैरों में झनझनाहट और जलन अथवा ठंडे पड़ने, जोड़ों में दर्द बढ़ने, कुछ भी याद रखने में परेशानी, दिल की धड़कनें तेज होने और सांस के चढ़ने, त्वचा पीली पड़ने, मुंह तथा जीभ में दर्द, भूख कम लगने, कमजोरी महसूस होने, धुंधलेपन, वजन घटने, बारंबार डायरिया या कब्ज, चलने में कठिनाई, अनावश्यक थकान, डिप्रेशन के शिकार होते जा रहे हैं? संभल जाएं..ये लक्षण आपके शरीर में विटामिन बी12 की कमी के प्रति आगाह कर रहे हैं जिन्हें समय पर नहीं समझने का अर्थ होगा जीवन को खतरे में डालते हुए नित नई बीमारियों को न्योता।आ बेहद आवश्यक है विटामिन : वसा को ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करने वाला बी12 शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने में अहम भूमिका निभाता है। शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने का काम विटामिन बी12 ही करता है। यह मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के सही से काम करने, कोशिकाओं में पाए जाने वाले जीन डीएनए को बनाने और उनकी मरम्मत तथा ब्रेन, स्पाइनल कोर्ड और नसों के कुछ तत्वों की रचना में भी सहायक होता है। यह शरीर के सभी हिस्सों के लिए अलग-अलग तरह के प्रोटीन बनाने का काम ही नहीं करता, वरन् शरीर के हर हिस्से की नर्व्स को प्रोटीन देने का काम भी करता है। विटामिन बी-12 जन्म संबंधी विकृतियों के विकास को रोकने के लिए एक केंद्रीय तत्व है, इसलिए जो महिला गर्भ धारण की योजना बना रही है, उसे इसकी कमी की जांच जरूर करवा लेनी चाहिए। निरोगी जीवन की कुंजी : बी12 सबसे आखिरी विटामिन भले ही हो, लेकिन निरोगी जीवन की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण कुंजी है, जिसके बारे में सही जानकारी नहीं होने के चलते हम उस पर न तो ध्यान दे पाते हैं और न ही उसे संतुलित रखने के उपाय करते हैं। असल में यह विटामिन बी12 घातक एनेमिया के स्रोत, कारण और इलाज ढूंढ़ते-ढूंढ़ते अचानक ही वैज्ञानिकों के हाथ लग गया।हैरत की बात यह भी है कि अधिकांश प्राणियों की तरह हमारे शरीर में भी आहार में लिए गए कोबाल्ट के इस यौगिक का अवशोषण छोटी आंत के अंत में आंतों की दीवार की कोशिकाओं द्वारा छोड़े गए एक जैव-रासायनिक अणु की सहायता से सूक्ष्मजीवों द्वारा होता है। यदि शरीर में इस जैव-रासायनिक अणु की कमी है, तो हम भोजन में कितना भी बी12 लें, शरीर उसे ग्रहण करने में असमर्थ रहता है। इसी प्रकार, कोबाल्ट धातु/खनिज की आपूर्ति या विशिष्ट सूक्ष्मजीवों की अनुपस्थिति में प्राणियों के शरीर में इसका निर्माण संभव नहीं है।इस मात्रा में चाहिए शरीर को विटामिन: शरीर को प्रतिदिन 2.4 माइक्रोग्राम विटामिन बी 12 आवश्यकता होती है और हमारे शरीर ने इसकी अधिक मात्रा को एकत्र रखने और जरूरत के हिसाब से उसका उपयोग करने के तंत्र में अपने को ढाला हुआ है। नई आपूर्ति के बिना भी हमारा शरीर बी12 को 30 वर्षों तक सुरक्षित रख सकता है क्योंकि अन्य विटामिनों के विपरीत, यह हमारी मांसपेशियों और शरीर के अन्य अंगों विशेषकर यकृत में भंडारित रहता है।क्यों होती है बी12 की कमी? : जान लें कि, बी12 की कमी के अधिकांश मामले दरअसल उसके अवशोषण की कमी के मामले होते हैं क्योंकि चालीस पार के लोगों की बी12 अवशोषण की क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है। बहुत सी दवाइयां भी लम्बे समय तक प्रयोग किए जाने पर बी12 के अवशोषण को अस्थाई रूप से या सदा के लिए बाधित करती हैं। इसके अलावा भोजन में नियमित रूप से बी12 की अधिकता होने पर शरीर उसकी आरक्षित मात्रा में कमी कर देता है। बी-12 की कमी कई कारणों से पाई जाती है, जिनमें जीवनशैली संबंधी गलत आदतें तथा जैव रासायनिक खपत संबंधी समस्याएं शामिल हैं। हाल ही के एक शोध की मानें तो भारत की लगभग 60-70 प्रतिशत जनसंख्या और शहरी मध्यवर्ग का लगभग 80 प्रतिशत विटामिन बी-12 की कमी से पीड़ित हैयदि इस विटामिन की कमी है, तो आप मौत को बुलावा दे रहे हैं..!क्या आप ऐसे मौसम में भी पंखा धीमा करने को कहते हैं, जब बाकी को गर्मी लग रही हो, क्योंकि आपका शरीर ठंड महसूस होने की चुगली करता है? या फिर आप हाथ-पैरों में झनझनाहट और जलन अथवा ठंडे पड़ने, जोड़ों में दर्द बढ़ने, कुछ भी याद रखने में परेशानी, दिल की धड़कनें तेज होने और सांस के चढ़ने, त्वचा पीली पड़ने, मुंह तथा जीभ में दर्द, भूख कम लगने, कमजोरी महसूस होने, धुंधलेपन, वजन घटने, बारंबार डायरिया या कब्ज, चलने में कठिनाई, अनावश्यक थकान, डिप्रेशन के शिकार होते जा रहे हैं? संभल जाएं..ये लक्षण आपके शरीर में विटामिन बी12 की कमी के प्रति आगाह कर रहे हैं जिन्हें समय पर नहीं समझने का अर्थ होगा जीवन को खतरे में डालते हुए नित नई बीमारियों को न्योता।बेहद आवश्यक है विटामिन : वसा को ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करने वाला बी12 शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने में अहम भूमिका निभाता है। शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने का काम विटामिन बी12 ही करता है। यह मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के सही से काम करने, कोशिकाओं में पाए जाने वाले जीन डीएनए को बनाने और उनकी मरम्मत तथा ब्रेन, स्पाइनल कोर्ड और नसों के कुछ तत्वों की रचना में भी सहायक होता है। यह शरीर के सभी हिस्सों के लिए अलग-अलग तरह के प्रोटीन बनाने का काम ही नहीं करता, वरन् शरीर के हर हिस्से की नर्व्स को प्रोटीन देने का काम भी करता है। विटामिन बी-12 जन्म संबंधी विकृतियों के विकास को रोकने के लिए एक केंद्रीय तत्व है, इसलिए जो महिला गर्भ धारण की योजना बना रही है, उसे इसकी कमी की जांच जरूर करवा लेनी चाहिए। निरोगी जीवन की कुंजी : बी12 सबसे आखिरी विटामिन भले ही हो, लेकिन निरोगी जीवन की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण कुंजी है, जिसके बारे में सही जानकारी नहीं होने के चलते हम उस पर न तो ध्यान दे पाते हैं और न ही उसे संतुलित रखने के उपाय करते हैं। असल में यह विटामिन बी12 घातक एनेमिया के स्रोत, कारण और इलाज ढूंढ़ते-ढूंढ़ते अचानक ही वैज्ञानिकों के हाथ लग गया।हैरत की बात यह भी है कि अधिकांश प्राणियों की तरह हमारे शरीर में भी आहार में लिए गए कोबाल्ट के इस यौगिक का अवशोषण छोटी आंत के अंत में आंतों की दीवार की कोशिकाओं द्वारा छोड़े गए एक जैव-रासायनिक अणु की सहायता से सूक्ष्मजीवों द्वारा होता है। यदि शरीर में इस जैव-रासायनिक अणु की कमी है, तो हम भोजन में कितना भी बी12 लें, शरीर उसे ग्रहण करने में असमर्थ रहता है। इसी प्रकार, कोबाल्ट धातु/खनिज की आपूर्ति या विशिष्ट सूक्ष्मजीवों की अनुपस्थिति में प्राणियों के शरीर में इसका निर्माण संभव नहीं है।इस मात्रा में चाहिए शरीर को विटामिन: शरीर को प्रतिदिन 2.4 माइक्रोग्राम विटामिन बी 12 आवश्यकता होती है और हमारे शरीर ने इसकी अधिक मात्रा को एकत्र रखने और जरूरत के हिसाब से उसका उपयोग करने के तंत्र में अपने को ढाला हुआ है। नई आपूर्ति के बिना भी हमारा शरीर बी12 को 30 वर्षों तक सुरक्षित रख सकता है क्योंकि अन्य विटामिनों के विपरीत, यह हमारी मांसपेशियों और शरीर के अन्य अंगों विशेषकर यकृत में भंडारित रहता है।क्यों होती है बी12 की कमी? : जान लें कि, बी12 की कमी के अधिकांश मामले दरअसल उसके अवशोषण की कमी के मामले होते हैं क्योंकि चालीस पार के लोगों की बी12 अवशोषण की क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है। बहुत सी दवाइयां भी लम्बे समय तक प्रयोग किए जाने पर बी12 के अवशोषण को अस्थाई रूप से या सदा के लिए बाधित करती हैं। इसके अलावा भोजन में नियमित रूप से बी12 की अधिकता होने पर शरीर उसकी आरक्षित मात्रा में कमी कर देता है। बी-12 की कमी कई कारणों से पाई जाती है, जिनमें जीवनशैली संबंधी गलत आदतें तथा जैव रासायनिक खपत संबंधी समस्याएं शामिल हैं। हाल ही के एक शोध की मानें तो भारत की लगभग 60-70 प्रतिशत जनसंख्या और शहरी मध्यवर्ग का लगभग 80 प्रतिशत विटामिन बी-12 की कमी से पीड़ित है।सिर्फ मांसाहार ही विकल्प नहीं: ऐसा नहीं कि सिर्फ मांसाहार वाले ही इस विटामिन की कमी से महफूज रहते हों। मांस में भी यह जिन अवयवों में अधिक मात्रा में पाया जाता है, उन भागों को तो अधिकांश मांसाहारी भी अभक्ष्य मानते हैं, इसलिए शाकाहारी लोग भी खमीर, अंकुरित दालों, शैवालों, दुग्ध-उत्पादों यथा दही, पनीर, खोया, चीज, मक्खन, मट्ठा, सोया मिल्क आदि तथा जमीन के भीतर उगने वाली सब्जियों जैसे आलू, गाजर, मूली, शलजम, चुकंदर आदि की सहायता से बी12 की पर्याप्त मात्रा प्राप्त कर सकते हैं, और भोजन में गाहे-बगाहे खमीरी रोटी और स्पाइरुलिना भी ले लिया करें तो अच्छा है। विशेषकर यदि आप चालीस के निकट हैं या उससे आगे पहुंच चुके हैं। हां, अच्छी बात यह भी है कि इसकी दवा की मात्रा मर्ज की गंभीरता पर निर्भर करती है और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। यह दवा आंतों में मौजूद लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया को सक्रिय करने का काम करती है। हां, थोड़े से साइड इफेक्ट भी हैं! : जहां विटामिन बी12 के फायदे ही फायदे हैं, और यह जीवन के निर्माण से लेकर उसे सुचारु रूप से चलाने तक करीबन हर गतिविधि में शामिल है, लेकिन हालिया शोध ने इसका एक नकारात्मक पक्ष भी सामने रखा कि यह मुंहासों से चेहरा भरने के लिए जिम्मेदार स्किन बैक्टीरिया को उत्तेजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और यह समस्या विटामिन बी12 की गोलियां लेने वालों के साथ भी आ सकती है। वैज्ञानिक इस आधार पर अब मुंहासों का प्रभावी इलाज खोजने की ओर अग्रसर हैं।शरीर का नेचुरल लाइट स्विच: हाल ही में एमआईटी के वैज्ञानिकों ने विटामिन बी 12 के एक नये रूप को सामने रखा कि यह जीन रेगुलेशन के साथ ही शरीर के नेचुरल लाइट स्विच के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बैक्टीरिया थर्मस थर्मोफिलस की प्रोटीन के अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ कि यह फोटोरिसेप्टर प्रोटीन्स, जो कि हमारे शरीर तंत्र की रोशनी महसूस करने और उसके प्रति जागरूक बनाती हैं, उनका खाना-पानी विटामिन बी12 ही है। यही नहीं, लाइट सेंसिंग प्रोटीन्स जीन्स को नियंत्रित करती हैं, जो बगैर बी 12 संभव नहीं।शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रकृति ने शरीर को संपूर्णता प्रदान करने में इसे ना सिर्फ विटामिनों की खुराक दी, बल्कि पूरी की पूरी एंजाइम यूनिट का बैकअप भी दिया। इस तरह हमारे सूर्योदय के समय जागने और सूर्यास्त के बाद सोने को आदत में बदलने में बी12 की यह भूमिका आने वाले समय में नई खोजों के द्वार खोल देगी। खास बात यह भी सामने आई है कि अंधेरे में माइक्रोब्स के फोटो रिसेप्टर डीएनए से चिपके पड़े रहते हैं और थर्मस थर्मोफिलस की जीन्स की गतिविधियों को थामे रखते हैं, लेकिन जैसे ही रोशनी पड़ती है, फोटो रिसेप्टर खटाक से छिटककर दूर हो जाते हैं और बैक्टीरिया ऐसे एंजाइम बनाना आरंभ कर देता है जिससे कोशिका तंत्र को सूर्य की रोशनी के कारण डीएनए की टूटफूट होने जैसे प्रभावों से बचाया जा सके। इस खोज से डीएनए ट्रांसक्रिप्शन को रोशनी से नियंत्रित करने वाली जेनेटिक इंजीनियरिंग तो अमल में लाई ही जा सकती है, प्रोटीन्स के बीच संबंधों को नियंत्रित करने का रास्ता भी खुल सकता है जिसके लिए बी12 को जितना धन्यवाद दो, उतना कम। तो, बी12 कितना खास है, और बताने की जरूरत है क्या?