स्वतंत्रता संग्राम : बुलंद नारों की बुलंद दास्तां – ऐसी जुबां जो ललकार में बदल जाती है – हुंकार भर से क्रोध आक्रोश असंतोष घृणा निराशा से व्याप्त भा
स्वतंत्रता संग्राम : बुलंद नारों की बुलंद दास्तां यहां बजा बिगुल विद्रोह काए नारों ने भरी हुंकारहिली हुकूमत अंग्रेजों की जब चले शब्दों के बाणजरूरी नहीं कि भावों को व्यक्त करने के लिए हमेशा शब्दों का इस्तेमाल किया जाए लेकिन जब बात तीव्र और सशक्त अभिव्यक्ति की हो तो शब