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जिस घर मात पिता खुश रहते,'लावणी छन्द'

19 अक्टूबर 2019

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प्रतिमाओं का पूजन करने,हम मंदिर में जाते हैं।

जिस घर मात-पिता खुश रहते,उस घर ईश्वर आते हैं।


असर दुआ में इतना इनकी,बाधाएँ टल जाती है।

कदमों में खुशियाँ दुनिया की सारी चलकर आती है।

पालन करने स्वयं विधाता घर में ही बस जाते हैं।

जिस घर मात-पिता खुश रहते,उस घर ईश्वर आते हैं।।


इस जीवन में कर्ज कभी भी चुका नहीं जिनका सकते।

औलादों के सपने सारे जिनकी आँखों में पलते।

बच्चों के हिस्से में खुशियाँ,दुख से खुद लड़ लाते हैं।

जिस घर मात-पिता खुश रहते,उस घर ईश्वर आते

हैं।।


मुट्ठी में दुनिया की सारी दौलत आ ही जाती है।

जब तक ठंडी छाँव पिता की माँ ममता बरसाती है।

खुशकिस्मत होते जो इनका साथ अधिकतम पाते हैं।

जिस घर मात-पिता खुश रहते,उस घर ईश्वर आते

हैं।।


#स्वरचित#मौलिक

डॉ.सुचिता अग्रवाल "सुचिसंदीप"

तिनसुकिया, असम


Suchisandeep2010@gmail.com

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