जिस घर मात पिता खुश रहते,'लावणी छन्द'
प्रतिमाओं का पूजन करने,हम मंदिर में जाते हैं।जिस घर मात-पिता खुश रहते,उस घर ईश्वर आते हैं।असर दुआ में इतना इनकी,बाधाएँ टल जाती है।कदमों में खुशियाँ दुनिया की सारी चलकर आती है।पालन करने स्वयं विधाता घर में ही बस जाते हैं।जिस घर मात-पिता खुश रहते,उस घर ईश्वर आते हैं।।इस जीवन में कर्ज कभी भी चुका नहीं