सुबह से मन को एकाग्र करने के लिए बहुत प्रयास किया पर सफलता नहीं मिली, दोपहर होने को है इतना असंतोष और अशांत है मन की किसी काम को पूरा करने भी नहीं दे रहा.
खुश रहो वास्तविक स्थिति में ये कहते हैं सब मनस्थिति तो बदल नहीं सकते क्या करूं चिंता सता रही है. खिड़की से बाहर देखा तो लगा जेसे कोई कह रहा हैं समय तो समय पर आयेगा इसलिए खुद को सम्हालना जरूरी है और आज जो भी है प्राकृतिक सौंदर्य वो कल नहीं रहेगा तो मन को सम्हालना मुश्किल नहीं तो फिर बस अपनी बात को ध्यान से समझो और तनाव को दूर करने के लिए खुश रहने के आधार को स्वीकार कर लो.