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एक पौराणिक कथा।

2 जनवरी 2022

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महाराज दशरथ को जब संतान प्राप्ति नहीं हो रही थी तब वो बड़े दुःखी रहते थे...पर ऐसे समय में उनको एक ही बात से हौंसला मिलता था जो कभी उन्हें आशाहीन नहीं होने देता था।

और वह था श्रवण के पिता का श्राप....

दशरथ जब-जब दुःखी होते थे तो उन्हें श्रवण के पिता का दिया श्राप याद आ जाता था... (कालिदास ने रघुवंशम में इसका वर्णन किया है)

श्रवण के पिता ने ये श्राप दिया था कि ''जैसे मैं पुत्र वियोग में तड़प-तड़प के मर रहा हूँ वैसे ही तू भी तड़प-तड़प कर मरेगा।''

दशरथ को पता था कि ये श्राप अवश्य फलीभूत होगा और इसका मतलब है कि मुझे इस जन्म में तो जरूर पुत्र प्राप्त होगा.... (तभी तो उसके शोक में मैं तड़प के मरूँगा)

यानि यह श्राप दशरथ के लिए संतान प्राप्ति का सौभाग्य लेकर आया।

ऐसी ही एक घटना सुग्रीव के साथ भी हुई....

वाल्मीकि रामायण में वर्णन है कि सुग्रीव जब माता सीता की खोज में वानर वीरों को पृथ्वी की अलग - अलग दिशाओं में भेज रहे थे.... तो उसके साथ-साथ उन्हें ये भी बता रहे थे कि किस दिशा में तुम्हें कौन सा स्थान या देश  मिलेगा और किस दिशा में तुम्हें जाना चाहिए या नहीं जाना चाहिये।

प्रभु श्रीराम सुग्रीव का ये भगौलिक ज्ञान देखकर हतप्रभ थे।

उन्होंने सुग्रीव से पूछा कि सुग्रीव तुमको ये सब कैसे पता...?

तो सुग्रीव ने उनसे कहा कि... ''मैं बाली के भय से जब मारा-मारा फिर रहा था तब पूरी पृथ्वी पर कहीं शरण न मिली... और इस चक्कर में मैंने पूरी पृथ्वी छान मारी और इसी दौरान मुझे सारे भूगोल का ज्ञान हो गया।''

अब अगर सुग्रीव पर ये संकट न आया होता तो उन्हें भूगोल का ज्ञान नहीं होता और माता जानकी को खोजना कितना कठिन हो  जाता ।

इसीलिए किसी ने बड़ा सुंदर कहा है :-

"अनुकूलता भोजन है, प्रतिकूलता विटामिन है और चुनौतियाँ वरदान है और जो उनके अनुसार व्यवहार करें.... वही पुरुषार्थी है।"

ईश्वर की तरफ से मिलने वाला हर एक पुष्प अगर वरदान है.......तो हर एक काँटा भी वरदान ही समझें....

मतलब.....अगर आज मिले सुख से आप खुश हो...तो कभी अगर कोई दुख,विपदा,अड़चन आजाये.....तो घबरायें नहीं.... क्या पता वो अगले किसी सुख की तैयारी हो..
है न सही।
जय श्रीकृष्ण। 
कैसा लगा जी 
जय श्रीकृष्ण। sandeep Sharma Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com 
jai shree Krishna g. 





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               सदैव सकारात्मक रहें।🙏☺️
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रचनाएँ
नूतन पुरातन
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पौराणिक व्यवस्थाओ को समझे। आज हम यहा कलावा यानि मौली जो हर पूजन अर्चन पर कलाई पर बांधते है ।के बारे मे थोडी जानकारी सांझा करने जा रहा हू। स्वीकार करे अन्यथा न ले। जय श्रीकृष्ण।
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कलावा या मौली ।की सार्थकता।

30 दिसम्बर 2021
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Metal pots.n their effects.

6 जनवरी 2022
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collection bye sandeep Sharma Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com Jai shree Krishna g 👌 Pl accept. *आइये जानते है कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हा

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6 जनवरी 2022
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मृत्यु पर वश नहीं...〰️〰️🌼〰️〰️बात है, तेरह सौ वर्ष से भी अधिक पहले की। रत्नों का व्यापार करने वाला एक जौहरी था। व्यवसाय की दृष्टि से वह प्रख्यात रोम नगर में गया और वहाँ के मन्त्री से मिला। मन्त्री ने

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सोच

7 जनवरी 2022
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सोच अच्छी हो तो सब संवर जाता है।कितना भी हो मुश्किल सवाल,हल निकल आता है।सोच हो ऊंची तो आदमी आगे बढ जाता है।रास्ते हो संकरे भले ही ,राह फिर भी वो निकाल लाता है।मंजिल हो दूर कितनी भी,पहुँच&n

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