shabd-logo

कन्नू की अधूरी ख्वाहिशें

13 अप्रैल 2022

15 बार देखा गया 15
कन्नू बचपन से ही बहुत होनहार लड़की थी। भाई बहनों में सबसे छोटी और सबकी लाडली थी। ग्रेजुएशन की परीक्षा अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण करने के बाद उसे आर्मी में जाने का अवसर मिला। आज ही उसका आर्मी से कॉल लेटर आया था। 4 साल की कठिन ट्रेनिंग के बाद वह सेना में ऑफिसर बन जाएगी। अपना कॉल लेटर देखते ही कन्नू खुशी से झूम उठी, और घर में सब लोग बहुत खुश हो गए। उनके परिवार में अब तक कोई भी सेना में ऑफिसर पद पर नहीं था,  इसलिए उसके माता-पिता को और भी ज्यादा खुशी हो रही थी। पिताजी तो झटपट मिठाई भी ले आए और कॉलोनी में सबको बांटी।
केवल 10 दिनों के भीतर ही सारी तैयारियों के साथ कन्नू को पुणे पहुंचना था। उसकी माताजी और बड़ी बहन सीमा ने अगले ही दिन से तैयारियां शुरू कर दी। माता जी थोड़ा दुखी भी थी कि अपनी लाडली बेटी को अपने से दूर कैसे भेजेगी। कन्नू भी भीतर से डर रही थी की मम्मी के बगैर कैसे रहूंगी। पर उसकी दीदी  ने मम्मी और कन्नू दोनों को समझाया कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है,  और 4 साल तो चुटकी बजाते निकल जाएंगे। 
आज सुबह की ट्रेन से कन्नू अपने पापा के साथ पुणे के लिए निकल गई। पूरे सफर में वह रोती रही की मम्मी से दूर कैसे रहूंगी

Krishna Bisht Bagri की अन्य किताबें

भारती

भारती

बहुत ही बढ़िया

14 अप्रैल 2022

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए