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kanosuni

जी के चक्रवर्ती

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आज वर्तमान समय में सच और सत्य और की परिभाषा बदल चुकि है जो सच था वह किंचित सत्य एवं जो सत्य था वह अर्ध सत्य में परिवर्तित हो चुका है, ठिक ऐसे ही हमारे समाज की सभी मान्यताओं मे बदलाव आ चुका है। इन परिवर्तनों के साथ ही साथ समाज में हम इंसानो के रोज मर्रे की एक दूसरे के प्रति व्यावहार करने से लेकर बोल चाल में घोर परिवर्तन आ जाने से समाज मे तरह-तरह की विकृतियाँ पैदा होने लगी है, इंनसानो के कृत्यों में कुकृत्य का पुट होने या कहें स्तर में गिरावट आजाने आज समाज में बहुत बड़ा बदल आचुका है इन्हीं कारणों से हम इंसानो के अंदर दूसरे इंसानो के प्रती संवेदनशीलता की घोर अभाव हो गया है। ऐसे ही परिर्वतनो के कारण आये दिन समाज मे तरह-तरह की घटनाएं घटित हुआ करती है ऐसे घटनाओ की सच्चाई को छुपाने की कोशिश करने जैसे मानविय आदर्शो के क्षरण् का आभास होने पर सच की सत्य को बरकरार रखने के प्रयास के प्रति एक कर्तव्य का अनुभव होने पर सृजन पृष्ठ इस कर्तव्य के पालन करने के प्रयास में तत्पर।  

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