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कर्मा बाई

24 अक्टूबर 2021

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जगन्नाथ पुरी का मंदिर पूरे विश्व में चर्चित है, हमारे चार धामों में एक इनका भी नाम है, उसी जगन्नाथ पुरी मंदिर के पास ही एक छोटे से घर में कर्मा बाई नाम की बुर्ज महिला रहती थी, वह प्रतिदिन सुबह उठकर   बाजरे  की खिचड़ी बनाकर कृष्ण भगवान को भोग लगाती थी , उनके खिचड़ी कि खुशबू भगवान जगन्नाथ तक पहुंच जाती थी , एक दिन भगवान स्वयं सुबह सुबह बाल रूप में उनके घर में आ जाते हैं और कहते हैं, " मां आप कि खिचड़ी कि सुगंध  बहुत ही अच्छी आती है ,रोज मेरा मन करता था कि आकर खाऊं आज रहा नही गया, तो मैं चला आया, "! कर्मा बाई प्यारे से बच्चे को देख कहती है," आओ आओ बेटा यह तो मेरा सौभाग्य जो कृष्ण रूप में तुम आए हो,बैठो,"!! वह प्यार से उन्हे खिचड़ी खिलाती है,वह बालक रूपी भगवान खिचड़ी खा कर मुंह धोकर पूछते हैं ," मां मैं कल भी खिचड़ी खाने आऊं, "?? तो वह खुशी खुशी कहती हैं ," कल ही क्यों बेटा तुम रोज आ सकते हो , मुझे भी अच्छा लगेगा , वैसे तुम रहते कहां हो ," !! भगवान मुस्कराकर बोले," बस यहीं मंदिर परिसर में ही रहता हूं, तुम्हारी खिचड़ी कि सुगंध से चला आया ,अब रोज आऊंगा और ऐसा ही स्वादिष्ट खिचड़ी बनाना, "!! वह जाता है ,अब तो रोज का काम हो गया, एक दिन एक साधु उनके घर भिक्छा मांगने आता है तो वह खिचड़ी देने लगती हैं तो वह साधु कहता है " माते तुमने यह बिना स्नान किए बनाया है,"!! वह भोलेपन में कहती है, " महाराज मैं तो प्रति दिन उठकर पहले खिचड़ी बनाकर कृष्ण भगवान को भोग लगाती हूं फिर दूसरा कार्य करती हूं,"!! वह कहता है," नही माते ,सुबह बिना स्नान के भोग लगाने से भगवान रूष्ट हो जाते हैं ,इसलिए सुबह पहले स्नान करके ही खिचड़ी बनाया करो,"!! कर्मा बाई को उनकी बात सही लगती है,तो वह दूसरे दिन सुबह सुबह उठकर स्नान करके फिर खिचड़ी चढ़ाती है ,लेकिन बालक तो अपने समय पर आ कर बैठ जाता है, वह कहता है,*" मां आज बहुत देर कर दिया तुमने मुझे मंदिर परिसर में जल्दी जाना है लोग मेरी बाट जोहते हैं, "!! भोली भाली कर्मा बाई को अब भी समझ नही आता है कि सामने बैठा बालक स्वयं मुरली मनोहर हैं, वह तो प्रतिदिन कि तरह उन्हे खिचड़ी खिलाती है, पुजारी जब मंदिर में आरती के लिए पट खोलते हैं तो उन्हे आश्चर्य होता है की सुबह सुबह तो उन्होंने भगवान को स्नान कराया था ,उनके मुंह में खिचड़ी किसने लगा दिया, "!! वह उनका मुंह फिर से साफ करते हैं ,ये अब प्रतिदिन का कार्य हो गया एक दिन तो वह स्नान करा कर वहीं बाहर छुप कर बैठ जाते हैं और देखते हैं कौन यह बदमाशी कर रहा है, पर उन्हे कोई दिखाई नही देता और पट खुलने पर फिर वही हाल था, पुजारी एकदम से विचलित हो उठते हैं, पूरा दिन उनसे कुछ खाया पिया नही जाता है ,रात पुजारी जी को भगवान स्वप्न में आकर बताते हैं ," मेरी भक्त कर्मा बाई मुझे प्रतिदिन खिचड़ी बनाकर खिलाती है ,एक दिन बाहर बैठे साधु ने उन्हे स्नान करके खिचड़ी बना कर भोग लगाने  को कह दिया है तो अब खिचड़ी देर से बनती हैं तो मुझे खाने के बाद मुंह धोने का समय ही नहीं बचता है, उस साधु को समझा दीजिए, "!! पुजारी की नींद खुलती है तो वह बाहर धूनी जमा कर बैठे साधु को जाकर सारी बाते बताते हैं तो वह आश्चर्य चकित हो जाता है वह सोचता है हम इतने वर्षों से इनकी साधना कर रहे हैं हमे एक बार भी दर्शन नही दिए और उस माता के पास प्रतिदिन खिचड़ी खाने जाते है,धन्य है वो मां ,वह जगन्नाथ प्रभु को प्रणाम कर तुरंत कर्मा बाई के घर जाकर बिना स्नान किए ही खिचड़ी बनाने को कहते हैं, और उसे प्रणाम कर जाते हैं ,कई दिनो तक यह चलता रहा, एक दिन कर्मा बाई ने अंतिम सांस ली, पूरा गांव और मंदिर के सभी लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए और विधिवत उनका अंतिम संस्कार किया, "!! दूसरे दिन सुबह जब मंदिर के पट खुलते हैं तो पुजारी को यह देख आश्चर्य होता है कि प्रभु के आंखो से आंसु निकलते हैं, दूसरे दिन भी यही हाल था ,बात राजा तक पहुंचती है वह भी आकर देखते हैं तो उन्हे भी आश्चर्य होता है,वह भगवान से प्रार्थना करते हैं "हे प्रभु यदि हम लोगो से कोई भूल  हुई हो तो क्षमा करें ,और हमे बताए ताकि हम उसे सुधार सके, "!!
रात्रि में राजा और पुजारी दोनो को ही स्वप्न आता है ,भगवान कहते हैं" कर्मा बाई प्रतिदिन खिचड़ी का भोग  खिलाती थी  अब उसके जाने के बाद से में भूखा रहने लगा हूं,उसकी याद में मुझे सुबह रोना आता है, "!! महाराज की रात में ही नींद खुल जाती हैं और वह तुरंत पुजारी जी के पास जाते हैं , वहां पता चलता है कि उन्हें भी वही स्वप्न आया था, तो पुजारी तुरंत पहले बाजरे कि खिचड़ी बनाते हैं और उसी समय भोग लगाते हैं जब कर्मा बाई उन्हे खिलाती थी, उस दिन उनकी आंखों से आंसु नही आते हैं ,तो सभी खुश हो जाते हैं और उस दिन से भगवान जगन्नाथ को खिचड़ी का भोग चढ़ने लगा जो आज भी जारी है ,कितनी महान थी कर्मा बाई जिनके हाथों से प्रतिदिन प्रभु स्वयं भोजन प्राप्त करते थे,****!

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कर्मा बाई
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कर्मा बाई एक गरीब महिला थी जो भगवान कृष्ण कि परम भक्त थी,

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