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हेलो दोस्तों.. मेरा नाम क़ासिम अंसारी है और मैं यूपी के फ़िरोज़ाबाद शहर का रहने वाला हूं. मुझे बचपन से ही कहानियां पढ़ने का शौक है. शुरू से ही किताबें मेरी बेहतरीन दोस्त रहीं हैँ. बचपन का किताबें पढ़ने का शौक कब लिखने मे बदल गया पता ही नहीं चला . फिर जब लिखने के लिए बैठा तो एक बात पता चली कि लिखना बहुत हिम्मत का काम है. काफी वक़्त इसी कशमश मे गुज़र गया कि अगर लिखूंगा तो पढ़ेगा कौन. फिर बड़ी हिम्मत कर के मैंने लिखना शुरू किया और लिखते वक़्त मेरी यही कोशिश थी कि मैं और लेखक के मुकाबले कुछ अलग लिखूं. मैं शब्द प्लेट फॉर्म का बहुत आभारी हूं जिन्होंने मुझे मौका दिया. मुझे शुरु से ही हॉरर सस्पेंस और थ्रिलर पढ़ने का शौक रहा है इसीलिए मैंने अपना पहला उपन्यास भी हॉरर ही लिखा है तो दोस्तों पेश है आपके सामने मेरा पहला उपन्यास “झील की परछाई "जो हॉरर और सस्पेंस से भरपूर है मेरी सभी पाठकों से गुज़ारिश है कि आप मुझे ज़ुरूर बतायें कि मेरा लिखा हुआ नॉवेल “ झील की परछाई " आप को कैसा लगा. आप लोग मुझे ईमेल के माध्यम से या व्हाट्सप्प के माध्यम से ज़ुरूर बतायें.. Email=kakku174@gmail.com Whattsapp number=8791340602

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झील की परछाई

झील की परछाई

इस दुनिया मे बहुत कुछ ऐसा भी होता है जो मानव कि समझ से परे होता है ये कहानी पहाड़ो मे बसे हुए एक टाउन कि है जिसे हिल हाउस टाउन कहते थे हिल हाउस टाउन का नाम वहां पर बने हुए एक हिल हाउस के नाम से ही पड़ा था जो पता नहीं कितने रहस्य अपने अंदर समेटे हुए था.

11 common.readCount
30 common.articles
common.personBought

ईबुक:

₹ 53/-

प्रिंट बुक:

300/-

झील की परछाई

झील की परछाई

इस दुनिया मे बहुत कुछ ऐसा भी होता है जो मानव कि समझ से परे होता है ये कहानी पहाड़ो मे बसे हुए एक टाउन कि है जिसे हिल हाउस टाउन कहते थे हिल हाउस टाउन का नाम वहां पर बने हुए एक हिल हाउस के नाम से ही पड़ा था जो पता नहीं कितने रहस्य अपने अंदर समेटे हुए था.

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शापित बस्ती

शापित बस्ती

ये कहानी एक ऐसे डॉक्टर कि है जिस के साथ ऐसा डरावना वाक्या पेश आया जिस ने उस कि जिंदिगी को बदल कर रख दिया.. हमारी दुनिया मे कुछ ऐसा भी होता है जिस पर कभी कभी यकीन करना बहुत मुश्किल हो जाता है..

निःशुल्क

शापित बस्ती

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ये कहानी एक ऐसे डॉक्टर कि है जिस के साथ ऐसा डरावना वाक्या पेश आया जिस ने उस कि जिंदिगी को बदल कर रख दिया.. हमारी दुनिया मे कुछ ऐसा भी होता है जिस पर कभी कभी यकीन करना बहुत मुश्किल हो जाता है..

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वीराना

वीराना

चांद की आखिरी तारीख  थी..इस जगह पर कोई नहीं आता था मैं भी पहले इस बात पर यकीन करता था... पर जब से शहर गया था तबसे इन बातों पर यकीन थोड़ा कम सा हो गया था.. लेकिन किया भी क्या जा सकता था मैं दिल ही दिल में अब यही सोच रहा था कि बस जल्दी से सुबह हो जाए

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वीराना

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चांद की आखिरी तारीख  थी..इस जगह पर कोई नहीं आता था मैं भी पहले इस बात पर यकीन करता था... पर जब से शहर गया था तबसे इन बातों पर यकीन थोड़ा कम सा हो गया था.. लेकिन किया भी क्या जा सकता था मैं दिल ही दिल में अब यही सोच रहा था कि बस जल्दी से सुबह हो जाए

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झील कि परछाई पार्ट -30 (अंतिम भाग )

10 फरवरी 2022
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"यही वो सच्चाई है जो इस किताब में लिखी हुई है इस किताब को किसने लिखा और यह किताब मिश्र तक कैसे पहुंची कोई नहीं जानता मगर इस किताब का एक-एक अल्फाज सच्चा है हमने जो घर खरीदा था उस घर को सोनामन ने ही ब

झील कि परछाई पार्ट -29

10 फरवरी 2022
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16वी सदी भारत..हिल हाउस टाउन.... "क्या हुआ अब्दुल तुम बहुत परेशान लग रहे हो तुम्हारे बेटे की तबीयत सही हुई कि नहीं हुई" "क्या बताऊं पंडित जी जब से यह महामारी यहां पर फैली है तब से दिन-रात हराम

झील कि परछाई पार्ट -28

10 फरवरी 2022
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बाहर चारों तरफ कोहरे का आलम था धूप हल्की-हल्की निकल रही थी नीलो अपने गार्डन मैं बैठी हुई चाय का आनंद ले रही थी मगर आरिफ उसी गार्डन में बैठा हुआ आसमान की तरफ देख रहा था वो खोया खोया सा था... तभी आरिफ क

झील कि परछाई पार्ट -27

10 फरवरी 2022
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"आखिर तुम कहना क्या चाहते हो आमिर क्या तुम मुझ पर कोई इल्जाम लगा रहे हो" "मेरी बात का गलत मतलब मत लो आलिया " "तो फिर तुम्हारी बात का क्या मतलब आज हमारी शादी को 10 साल हो गए इन 10 सालों में तुमने मुझसे

झील कि परछाई पार्ट -26

10 फरवरी 2022
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जैसे ही साहिल की नजर अपने सामने खड़े हमशक्ल पर पड़ी साहिल उसे हक्का-बक्का देखने लगा उसकी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था..... साहिल ने देखा सामने खड़ा उसका हमशक्ल उसे देखकर मुस्कुरा रहा था उसकी मुस्कुराह

झील कि परछाई पार्ट -25

10 फरवरी 2022
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कहते हैं अतीत इंसान की परछाई होती है और परछाई इंसान के पीछे हमेशा चलती है हमारा भविष्य भी हमारे अतीत पर ही निर्भर करता है हम अपने अतीत में जो भी कर्म करते हैं हमारा भविष्य उन्हीं कर्मों के आधार पर बनत

झील कि परछाई पार्ट -24

10 फरवरी 2022
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आधी रात से ज्यादा वक्त गुजर चुका था.... तूफान अभी तक खामोश नहीं हुआ था हवाएं और तूफान अपनी चरम सीमा पर थे हवा इतनी तेज चल रही थी कि पेड़ जड़ से उखड़ जाने को बेताब थे... और बारिश भी थमने का नाम नही

झील कि परछाई पार्ट -23

10 फरवरी 2022
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आज बहुत दिनों के बाद हिल हाउस टाउन में बहुत अच्छी धूप निकली थी और सर्दी का असर भी थोड़ा कम था... अफसाना अपने बेडरूम में बैठी हुई नीलो से बात कर रही थी आज का मौसम बहुत अच्छा है बाजी धुप भी बहुत अच्छी न

झील कि परछाई पार्ट -22

10 फरवरी 2022
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"झील की परछाई" "मैं कुछ समझा नहीं अम्मा जी" साहिल ने चौकते हुए मोहिनी से पूछा... "हां बेटा झील की परछाई" साहिल बड़ी गौर से मोहिनी को देखने लगा.. मोहिनी साहिल को देख कर कहने लगी.. "क्या बात है बेटा तुम

झील कि परछाई पार्ट -21

10 फरवरी 2022
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वो लड़की साहिल कि बात सुन कर साहिल को प्यार भरी नज़रो से देखने लगी.. साहिल उस के ऐसे देखने से सोच मे पड़ गया "क्या सोच रहे हो मुझे यहां से बाहर निकालो" "ठीक है लेकिन तुम्हें मैं बाहर कैसे निकालूँ क्या

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