चांद की आखिरी तारीख थी..इस जगह पर कोई नहीं आता था मैं भी पहले इस बात पर यकीन करता था... पर जब से शहर गया था तबसे इन बातों पर यकीन थोड़ा कम सा हो गया था.. लेकिन किया भी क्या जा सकता था मैं दिल ही दिल में अब यही सोच रहा था कि बस जल्दी से सुबह हो जाए मगर यह सुबह कब होगी मैंने अपनी घड़ी चेक करी इस वक्त रात का 1:00 बज रहा था अब इस सुनसान वीराने में हम सिर्फ चार लोग थे मैं मेरा दोस्त तांगेवाला और वह अनजान लड़की जो इस वक्त हम सब के लिए एक बहुत बड़ा रहस्य बनी हुई थी सबके मन में एक ही सवाल था कि आखिर यह लड़की है कौन और सबसे अहम् बात.... इस वीराने में क्या कर रही है
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