आजकल के युवा जो कि अपने आप को विलासिता की जिन्दगी से ओतप्रोत कर रहे है, फ़िल्मी और काल्पनिक दुनिया में खोते जा रहे है, उनके अंतर्मन को झकझोरने का एक प्रयास है ताकि वो लोग अपने जीवन के उद्देश्य को जानकार सही दिशा में बढ़ कर सफलता को प्राप्त करे | वयंग्ये युवाओ की जीवन शेली पर आधारित है,
“आखिर क्यों अमीरों को और अमीर करते है हम
` खाली है जेब अपनी फिर भी, उनकी जेबे भरते है हम
देख कर नंगे नाच को, क्यों संस्कृति को खोते है हम
जूठी है सारी कल्पनाये वो, फिर भी देखने जाते है हम
चंद पलो की आतिशी में, जीवन के पल क्यों खोते है हम
मनोरंजन के नाम पर, समय को क्यों लुटाते है हम
देश हमारा बेच के वो, काला करते मन और धन
भूखे बच्चे बिलख रहे है, खाने को है दाना कम
लटक लटक के लेते फांसी, जीने का हौसला है कम
चैन से वो तो खाते पीते, भूखे ही मर जाते है हम
आखिर क्यों अमीरों को और अमीर करते है हम”
#दिलीप राठौर