काव्या सोनी
प्रेम है तो श्रृंगार है विरह है वेदना है पर जो भी है सब दिल के करीब है ...💞 मैं और मेरा प्रेमी ही मेरी कलम है, यूँ तो बहुत बड़ी कवियित्री नही हूं, पर प्रेम को अपने काव्य में रखने का शौक पूरा करती हूं। प्रसिद्ध किताबें :- काव्या की काव्यांजली, नारी जीवन दर्पण, काव्यांशी जीवन के रंग, लफ्ज़ों की लहरें, प्रेम डगर, हाल ए दिल......... आशा है रचनाओं में आप जीवन और प्रेम की वास्तविकता को महसूस करेंगे 🙏 काव्या सोनी
❣️❣️प्रेम डगर❣️❣️
❣️❣️ प्रेम डगर ❣️❣️ ख्वाबों का एक अनजाना नगर आसान कहां है, मुश्किल बड़ा ये सफर कभी इन राहों में कलियां खिल जाए कभी बेवफाई की ठोकर मिल जाए कभी खूबसूरत से मोड़ है आते तो कभी दर्द की राह में मुड़ जाते रुसवाई के भी है फसाने चाहत के कुछ अफसाने कभी जुदाई औ
❣️❣️प्रेम डगर❣️❣️
❣️❣️ प्रेम डगर ❣️❣️ ख्वाबों का एक अनजाना नगर आसान कहां है, मुश्किल बड़ा ये सफर कभी इन राहों में कलियां खिल जाए कभी बेवफाई की ठोकर मिल जाए कभी खूबसूरत से मोड़ है आते तो कभी दर्द की राह में मुड़ जाते रुसवाई के भी है फसाने चाहत के कुछ अफसाने कभी जुदाई औ
काव्यांशी जीवन के रंग
ये जीवन कितना अजीब होता है हर किसी के नसीब अलग अलग रंग में खिलता है जीवन की परतों में तलाशते है जिस रंग को एक वही रंग नहीं मिलता कभी कभी कोई नया रंग मिल जाता है किसी के जीवन को रंगीन तो किसी के जीवन का दाग़ बन जाता किसी को खूबसूरत लम्हों की दे जाता स
काव्यांशी जीवन के रंग
ये जीवन कितना अजीब होता है हर किसी के नसीब अलग अलग रंग में खिलता है जीवन की परतों में तलाशते है जिस रंग को एक वही रंग नहीं मिलता कभी कभी कोई नया रंग मिल जाता है किसी के जीवन को रंगीन तो किसी के जीवन का दाग़ बन जाता किसी को खूबसूरत लम्हों की दे जाता स
काव्यांक्षी (दैनन्दिनी)
ख्याल मन में जब हलचल मचाएं बातें दिल को किसी को कहने से कतराए सखी बने दैनन्दिनी प्यारी सुने दिल हाल निभाएं सच्ची यारी
काव्यांक्षी (दैनन्दिनी)
ख्याल मन में जब हलचल मचाएं बातें दिल को किसी को कहने से कतराए सखी बने दैनन्दिनी प्यारी सुने दिल हाल निभाएं सच्ची यारी
काव्यांक्षी मन की बात दैननंदिनी के साथ
दैननंदिनी कुछ इधर उधर की बात जरा सी खुद से मुलाकात आजकल जो व्यस्तता का है दौर जिम्मेदारी दुनियादारी में खुद के लिए नहीं मिलता सुकून का ठौर ऐसे में दैननंदिनी के साथ जरा कर ले खुद से मुलाकात खुद की तलाश पर कुछ पल लगता विराम दिल की बाते अपनी सखी से कर म
काव्यांक्षी मन की बात दैननंदिनी के साथ
दैननंदिनी कुछ इधर उधर की बात जरा सी खुद से मुलाकात आजकल जो व्यस्तता का है दौर जिम्मेदारी दुनियादारी में खुद के लिए नहीं मिलता सुकून का ठौर ऐसे में दैननंदिनी के साथ जरा कर ले खुद से मुलाकात खुद की तलाश पर कुछ पल लगता विराम दिल की बाते अपनी सखी से कर म
लफ़्ज़ों की लहरें
लफ्जों की लहरें मन के आंगन में आकर ठहरे लफ़्ज़ों के मोती एहसासों के धागे में पिरोकर कविताओं में सजाए जज्बातों के सागर में लफ्जों की मचलती इन लहरों को एहसासों के किनारे मिल जाए कविताओं के सहारे कुछ यूं सजाए जीवन के हर पहलू को अपने अंदाज में
लफ़्ज़ों की लहरें
लफ्जों की लहरें मन के आंगन में आकर ठहरे लफ़्ज़ों के मोती एहसासों के धागे में पिरोकर कविताओं में सजाए जज्बातों के सागर में लफ्जों की मचलती इन लहरों को एहसासों के किनारे मिल जाए कविताओं के सहारे कुछ यूं सजाए जीवन के हर पहलू को अपने अंदाज में
काव्या की काव्यांजली
प्रेम से है जीवन प्रेम से है प्यारा हर बंधन प्रेम बिन सुना लगे जहां जुदाई के दर्द से प्रेम का गुलशन वीरान शब्दों के सांचे ढालने एक छोटा सा प्रयास प्यार के खट्टे मीठे कुछ अहसास कुछ सुने कुछ अनसुने से जज्बात प्रेम के निराले रूप मेरे प्रेम का र
काव्या की काव्यांजली
प्रेम से है जीवन प्रेम से है प्यारा हर बंधन प्रेम बिन सुना लगे जहां जुदाई के दर्द से प्रेम का गुलशन वीरान शब्दों के सांचे ढालने एक छोटा सा प्रयास प्यार के खट्टे मीठे कुछ अहसास कुछ सुने कुछ अनसुने से जज्बात प्रेम के निराले रूप मेरे प्रेम का र