ख्वाहिशों के जंगल में बहुत दूर निकला।
तेरे कूचे से होकर मजबूर निकला।
उसने सच का ही साथ दिया था
बस उसका यही कुसूर निकाला ।
तेरी वफ़ा से जब वाकीफ हुए
धीरे धीरे से सारा गुरूर निकला।
मृत्युंजय उपाध्याय नवल
आख़िर सज़ा मिली थी जिसको
वो परिंदा तो बेकुसूर निकला।
कह कर फ़साना तुम से नवल
दिल का सारा फितूर निकला।