03.12.15
देश में असहिष्णुता को लेकर छिड़ी बहस के बीच आज सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कुछ लोगों द्वारा एक मुस्लिम परिवार को सिनेमाहाल से बाहर जाने के लिए कहा जा रहा है।
बताया जा रहा है कि कुछ लोगों ने सिनेमाहाल में पिक्चर देखने आए एक मुस्लिम परिवार को बाहर निकाल दिया क्योंकि वो परिवार राष्ट्रगान के दौरान खड़ा नहीं हुआ।
मित्रों ,
भारत देश का हर जनमानस राष्ट्र गान बोलते समय या सुनाई देने पर सावधान की मुद्रा में खडा हो जाता है , केवल इस लिए ही नहीं कि ये हमारा राष्ट्र गान है बल्कि ये वह गीत है जिसे सुनकर मन में देशभक्ति का ज्वार हिलोंरे लेने लगता है।
यह गीत हमारे मन में सम्मान का भाव जगाता है।
राष्ट्रगान देश प्रेम से परिपूर्ण एक ऐसी संगीत रचना है, जो उस देश के इतिहास, सभ्यता, संस्कृति और उसकी प्रजा के संघर्ष की व्याख्या करती है।
राष्ट्र गान पर खडा होकर उन हजारों-लाखों शहीदों की शहादत को सलाम किया जाता है जिन्होंने मातृभूमि के रक्षार्थ स्वयं को बलिदान कर दिया।
मित्रों ,
खून खौलना स्वाभाविक था, मेरी नजरों से देंखें तो राष्ट्रगान पर बिना वजह खड़ा ना होना देशद्रोह के बराबर है इससे हम हमारे देश और उसकी विविधता में एकता वाली सर्व स्पर्शी संस्कृति को अपमानित करते है।
लेकिन क्या मात्र राष्ट्र गान पर खड़ा होना ही देशभक्ति का परिचायक है??
क्या सिर्फ तिरंगा फहराने से हम सच्चे देशभक्त की संज्ञा लेने के अधिकारी हैं?
👉आज भी हमारे देश में होने वाली दुर्घटनाओं में बहुत लोग मारे जाते हैं उन्हें समय पर हास्पीटल पँहुचाने वाला कोई नहीं।
👉आज भी स्वच्छता पर भाषण देने वालों की कतारें लम्बी लगी हुई है,लेकिन सफाई करने वाला कोई नहीं।
👉आज भी रास्तों पर लड़कियों से छेड़छाड की घटनाऐ आम हैं,लेकिन आगे बढकर रोकने वाला कोई नहीं।
👉आज भी पर्यावरण के नाम पर पेड़ लगाने वाले बहुत हैं, पर उनमें पानी देने वाला कोई नहीं।
बहुत ही समस्याएं हैं कहाँ तक लिखूँगा और कहाँ तक आप पढेंगे।
आशय साफ है कि देशभक्ति को केवल राष्ट्रगान तक सीमित ना रखें।
अभिषेक 'क्रान्ति'