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माँ

26 नवम्बर 2016

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आज भी कम खाता हूँ

तो रो देती है माँ

दुनिया बालों की बुरी और काली बलाओं से

काला टिका लगा कर बचाती है माँ १

खा नहीं पाता हूँ अब

फिर भी मेरे लिए बड़े चाव से

कांपते अपने हाथों से पूरी बनाती है माँ २

होता हूँ उदास तो

आज भी सिरहाने बैठी होती है माँ

निकल आया हूँ बहुत दूर

पर दूरी से भी आशीर्वाद देती है माँ ३

रहता हूँ खामोश सा मैं

फिर भी ना जाने कैसे? तेरी आँखे सब कुछ बता देती है माँ ४

तेरे पावन चरणो में सर रखकर

जन्नत हो आना चाहता हूँ

तुझे हर पल खुश रखना चाहता हूँ

पर तू मेरी खुशी मेँ ही

खुश क्यों?रहती है माँ ५ "देशबन्धु"

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