आज भी कम खाता हूँ
तो रो देती है माँ
दुनिया बालों की बुरी और काली बलाओं से
काला टिका लगा कर बचाती है माँ १
खा नहीं पाता हूँ अब
फिर भी मेरे लिए बड़े चाव से
कांपते अपने हाथों से पूरी बनाती है माँ २
होता हूँ उदास तो
आज भी सिरहाने बैठी होती है माँ
निकल आया हूँ बहुत दूर
पर दूरी से भी आशीर्वाद देती है माँ ३
रहता हूँ खामोश सा मैं
फिर भी ना जाने कैसे? तेरी आँखे सब कुछ बता देती है माँ ४
तेरे पावन चरणो में सर रखकर
जन्नत हो आना चाहता हूँ
तुझे हर पल खुश रखना चाहता हूँ
पर तू मेरी खुशी मेँ ही
खुश क्यों?रहती है माँ ५ "देशबन्धु"