माँ
आज भी कम खाता हूँ
तो रो देती है माँ
दुनिया बालों की बुरी
और काली बलाओं से
काला टिका लगा कर बचाती है माँ १
खा नहीं पाता हूँ अब
फिर भी मेरे लिए बड़े चाव से
कांपते अपने हाथों से
पूरी बनाती है माँ २
होता हूँ उदास तो आज भी
सिरहाने बैठी होती है माँ
निकल आया हूँ बहुत