मजदूर
वो सब तो हमे बहुत चाहने वाले निकले, गंदे से दिखाई देते थे वो,पर दोनो वक्त नहाने वाले निकले, धुतकार देते है कुछ लोग उन्हे,पर वो ये नही जानते कि जिन मकानो मे हम रहते है,ये उन्हे बनाने वाले निकले, जिन रास्तो पर हम आज आसानी से चल लेते है उबड़ खाबड़ थे कभी ये, वो मजदूर ही है,जो इन रास्तो को सुन्दर बनान