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महेश रौतेला की डायरी

महेश रौतेला

3 अध्याय
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mahesh rautela ki dir

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पुस्तक के भाग

1

वह लड़की

30 अगस्त 2017
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अहमदाबाद एअरपोर्ट पर चैक इन करते समय पहले सामान ड्रोप वाला काउंटर खुला तो सभी यात्री उसी पंक्ति में लग गये। जिन्होंने ओन लाइन चैक इन नहीं किया उन्हें दूसरी लाइन में जाने को कहा गया लेकिन मुझे वरिष्ठ नागरिक होने का फायदा दिया। बंगलौर में उतरा और कार में बैठा । तभी एक लड़की मेरे मन में बैठ गयी।मैंने मन

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यह शहर

30 अगस्त 2017
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यह शहरआदमी के साथजीता और मरता है,दादी कहती है उसके ज़माने मेंऐसा-ऐसा होता था,माँ कहती हैउसके समय में नदी यहाँ तक बहती थी,लोग कहते हैंउन्होंने घना जंगल देखा था,ठेकेदार बोलता हैउसने अनगिनत अवैध कटान किया है,बड़े सोचते हैंउनके समय पढ़ाई अच्छी होती थी,किसान कहता हैपहले बारिश समय से बरसती थी,हम सोचते हैंतब

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दूध सी मेरी बातें

15 दिसम्बर 2017
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दूध सी मेरी बातेंअब भी तुम्हें पकड़ती होंगी,आँखों में जब नाचती होंगीआँखें तुम मूंद लेते होगे।दूध सी मेरी बातेंतुम्हारे हाथ थामती होंगी,मुखड़े पर एहसास लातारों की तरह टिमटिमाती होंगी।दूध सी मेरी बातेंतुम्हारी राहों की तह लगाती होंगी,मन को आहट देसैकड़ों बार खोलती होंगी।

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