shabd-logo

मैं और मेरी तन्हाई

20 नवम्बर 2019

3413 बार देखा गया 3413

खुद से ही बातें करती हूँ,

खुद से चुप हो जाती हूँ,

खुद से गाना गाती हूँ,

खुद को ही सुनती हूँ,

तनहा तनहा तन्हाई,

जीवन में भर्ती जाती है,

मेला जो चारो ओर है,

बेमतलब होता जाता है

तन्हाई होती जाती है गहन

डॉ. प्रीति गोयल की अन्य किताबें

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए