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मैं क्या हूँ ?

27 सितम्बर 2016

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मैं क्या हूँ ? इस दुनिया में मैं क्यों आया हूँ ? मेरा अस्तित्व क्या है ? कौन से ऐसे घटक है जो अभी भी मुझे इस जिंदगी को और भी जीने के लिए मजबूर कर रहे है ? हमारे माता पिता को हमसे ऐसी क्या उम्मीदे हैं जो हमारे ख्वाबो को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं ? लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं ?

जब मैं इन सारे सवालो के बारे में सोचता हूँ तो मुझे उलझन-सी होने लगती है मैं कुछ सोच नही पाता हूँ | मैंने बहुत कुछ सोचा जितना सोच सकता था मैं उतना सोचा |अभी मेरी उम्र ही कितनी जिससे मैं कुछ सोच सकूँ फिर भी मैंने अपनी इसी छोटी सी जिन्दगी में बहुत सारे कड़वे अनुभवो से मैं गुजर चुका हूँ | इन्ही सब अनुभवो से मैंने जिन्दगी की परिभाषा को गढ़ने का प्रयास किया |

हम इसलिए जीते है की हम रोज उन खुशियों का इंतजार करते हैं जो हमने अपने भविष्य के लिए सोचा है | अपने उस ख़ुशी के इंतजार में कुछ लोग अपना वर्तमान बर्बाद कर रहे है तो कुछ बस वर्तमान की सोचते है उन्हें भविष्य की चिंता नही होती है | यदि आप वर्तमान ही सही करते जाये तो आपका भविष्य कभी बुरा नही हो सकता | बहुत ऐसे लोग है जो सोचते हैं भविष्य में जिन्दगी सही हो जाएगी पर ऐसा कहा हो पाता है | जिंदगी भविष्य नही है यह बस वर्तमान है जो पल पल बीतता जा रहा है|वही जिन्दगी है जो हमे कुछ न कुछ सिखाती रहती है|

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