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मौत

28 सितम्बर 2016

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एक दर्द जो

एक न एक दिन

सबको मिल ही जाती है

वह है मौत का

जो सबको डराती

है


कोई

दर्दनाक मरता है

तो कोई बड़े आसानी से

पर मंजिल सबकी एक होती है

चाहे वह राजा हो या रंक

जाना तो सबको

वही हैं

पर कहाँ ?

किसे पता मौत कहाँ ले जाती है ?

सपनो के दुनिया में

या जो हमने सोचा है

स्वर्ग या

नरक ?


कुछ

मौत के डर

हमेशा डरे रहते हैं

मौत तो एक ही बार

आती है

इसके लिए

ना कोई कोशिश

ना कोई जीत

ना कोई हार

हर बार मौत ही जीत जाती है

और बस एक बार ही

जीत पाती

है


कुछ

तो मौत के

डर से

रोज मरते हैं

और रोज मौत

उनसे खेल कर

चली जाती

है

-सूर्य प्रकाश

२८ सितम्बर २०१६


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