10 जून 2022
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मैथिल ब्राह्मण विकास मंच पुस्तक नाम मैथिल ब्राह्मण इतिहास ✍️🪔🙏लेखक परशुराम शर्मा D
भारत में एक मिथिला नाम का राज्य हैजहां राजा जनक और सीता मैया का अवतार हुआसर्वश्रेष्ठ राज्य होने के कारण वहां के ब्राह्मण सर्वश्रेष्ठ मैथिली ब्राह्मण के नाम से जाना जाता हैमैथिल ब्राह्मणों का संपूर्ण इ
मैथिल ब्राह्मणों की विशेषताएं- यद्यपि सभी ब्राह्मण उच्च, आदर्णीय व पूज्य होते हैं। किन्तु मिथिला तपस्वियों की ब्राह्मण (मैथिल ब्राह्मण), कर्मकाण्डी, धर्मोपदेशक, ज्योतिष व मीमांसा के ज्ञाता व नीत
औरंगजेब ने मिथिला में मैथिल ब्राह्मणों को हिन्दू धर्म से इस्लाम कबूलने को कहा लेकिन धर्म नहीं छोड़ा सर कटा गये कुछ छिपते छिपाते आगरा, मथुरा के जंगलों मेंआकर बृज क्षेत्र में आकर बस गये |मिथिला की
मिथिला से आकर मैथिल ब्राह्मण ब्रज क्षेत्र में के जंगलों में छुपते छुपाते छुपकर रहने लगे आकर निम्न कार्य जिसको जो काम मिला वह करने लगा लगे जैसे-कुछ तो अपना पुराना पण्डिताई का कार्य, किसी की दुकान पर का
दुनिया में मैथिल ब्राह्मण ही भविष्य और वर्तमान और भूतकाल की पद्धति जानते थे,इसका प्रमाण रामायण से मिलता है राजा विधेयक यानी जन जी,रावण से भी महा ज्ञानी रावण उनके सामने सत्संग में हार गया था,इससे यह सा
जातियों की संख्याभारत में जातियों और उपजातियों की निश्चित संख्या बताना कठिन है। श्रीधर केतकर के अनुसार केवल ब्राह्मणों की 800 से अधिक अंतर्विवाही जातियाँ हैं। और ब्लूमफील्ड का मत है कि ब्राह्मणों में
इतिहास की माने तोजिस तरीके से भारत को आजादी मिली देश का तो बंटवारा हुआ ही साथ में ब्राह्मण जाति का भी बंटवारा हो गयाएक के 50 हो गए 50 के 500 हो गए और 500 के 5000 हो गए दिन पर दिन बिखरत
इतिहास गवाह,जब लिखा है तो, तव तव नारी की वाणी परमेथिले कुमारी सीता मां के स्वयंवर की वात हैं,रावण ज्ञानी राजा जनक के साथ सत्संग में हार गया था,वही रावण कैलाश पर्वत को उठाने वाला धनुष को उठा नहीं
इतिहास पंडित जोरावर सिंह पंडित बलवंत सिंहका इतिहास जिला( एटा)आवागढ़ के राजा ने मिथिला पंडित को जमीन दान की थीउन वंश हुं मैं परशुराम शर्माये इतिहास गवाह है
इतिहास में रामायण कीमोनो तो.... महाज्योतिष व निर्माण मिथिला में हुआ पहले आते हैं ज्योतिष..फिर आते हैं महाज्योतिष महाराजा रावण की कोई भीशक्ति मंत्र तंत्र राजनीति कूटनीतिराजा मिथिले
आज अगर दुनिया में, सत्य सनातन धर्म है ,तो वो सिर्फ मैथिल पंडित की बदौलत हैं,रावण के अत्याचार से सबसे ज्यादा पंडितों ने सारण मिथिला में ही ली थी,क्या पता था की,दूसरा राक्