इतिहास गवाह,
जब लिखा है तो,
तव तव नारी की वाणी पर
मेथिले कुमारी सीता मां के स्वयंवर की वात हैं,
रावण ज्ञानी राजा जनक के साथ सत्संग में हार गया था,
वही रावण कैलाश पर्वत को उठाने वाला धनुष को उठा नहीं सका,
सीता मैया.
हंस कर बोली वो बाला तुम्हारा ज्ञान आज तुम्हारा भुजबल भी देख लिया,
रावण को स्वीकार नहीं करता था, (रामायण)
द्रोपति का सत्य दुर्योधन को स्वीकार नहीं था,
कलयुग में,(महाभारत)
नूपुर शर्मा का सत्य दुनिया को स्वीकार नहीं,
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॥जय श्री सीताराम॥