मकर राशि में पहुंचे दिनकर,
मनायें संक्रान्ति हम सब मिलकर।
तिलगुड़ लायें , खायें गजक,
घर आँगन, महके सरसों की महक।
चहके वन उपवन लगे मनोहर,
मन भावन लागे, ताल सरोवर।
उड़र ही है पतंग होकर मगन,
झूम झूम छू रही है गगन।
खिचड़ी खाओ मन भर कर,
बदल रहे हैं आज प्रभाकर।
प्रेरित हो रवि से, रखो अपना पग,
बढ़े चलो, रहो सदा सजग।
- प्रिया शर्मा