shabd-logo

common.aboutWriter

यायावरी जिन्दगी जीते हुए आज कल जयपुर को ठिकाना बना रखा है , कल का पता नही ? लेकिन में एक पाठक जरूर हु कुछ लिखने से पहले ....

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

cinema

cinema

सिनेमा और समाज ये दोनों एक दुसरे के अभिन्न अंग हैं ,और एक दुसरे के पूरक भी बशर्ते सिनेमा में तत्कालीन समाज की झलक हो ,अगर ऐसा सिनेमा बनता है तो फिर देर कान्हा लगेगी समाज के सड़े हुए कचरे को निकलने में

निःशुल्क

cinema

cinema

<p>सिनेमा और समाज ये दोनों एक दुसरे के अभिन्न अंग हैं ,और एक दुसरे के पूरक भी बशर्ते सिनेमा में तत्कालीन समाज की झलक हो ,अगर ऐसा सिनेमा बनता है तो फिर देर कान्हा लगेगी समाज के सड़े हुए कचरे को निकलने में&nbsp;</p>

निःशुल्क

common.kelekh

हिंदी सिनेमा को टक्कर देता क्षेत्रीय सिनेमा

28 अगस्त 2016
4
3

आज इसमें कोई भी शक नहीं है की की क्षेत्रीय सिनेमा, हिन्दी सिनेमा के लिए एक बड़ी चुनौती बन कर सामने आ रहा है. इसका जीता जागता उदाहरण आगामी राजस्थानी फिल्म " पगड़ी " है जिसका आधिकारिक टीज़र हाल ही में जारी किया ग

आप‬ याद आते हो

19 अगस्त 2016
2
0

मेरे शब्दों में अब बजन ही कंहा रहा है वो तो बस असर था तेरी मोहब्बत का , जो इतना कुछ लिखा था तेरे को दिल के आइने में देख देख के ... ‪#‎आप‬ याद आते हो मनमोहन कसाना

राजस्थानी सिनेमा और आज का दौर !

11 अगस्त 2016
2
0

राजस्थानी सिनेमा , इस शब्द को सुनकर ही आपको ऐसा लगेगा की मैं  क्या फालतू बात कर रहा हु , कयूकि आप सभी के हिसाब से तो सिनेमा सिर्फ या तो अमिताभ बच्चन वाला है या फिर आप शकीरा के ठुमको को सिनेमा मानोगे , लेकिन हाल ही पिछले दो तीन साल में जो क्षेत्रीय सिनेमा नाम का एक शब्द उभर कर आया है उसने न केवल शाकि

फासले !!

3 जुलाई 2016
2
0

फासले !!मेरा घर तेरे घर से इतनी दूर भी तो नही हैफिर क्योंफासले इतने बढे की80 गज़ की गली पार होती नही हैकंही ऐसा तो नही तेरे को भी डर है कीगिरफ्तार इश्क़ में हेहम कंही आगे बंदी बन्ने का डरतो नही।© मनमोहन कसाना‪#‎इश्क़‬ में गिरफ्तारी का मज़ा

आटे के भाव का बढ़ना

27 जून 2016
4
2

आटे के भाव का बढ़ना आटे के भाव बढ़ते ही आप सब परेशान हो जाते हो ,में भी परेशान होता हु लेकिन कभी किसीने नही पुछा क्यों .............................क्योकि में किसान हु |आओ में तुम्हें पूछता हु क्युकी मेरा गेंहू हमेशा15 के भाव ही बिकता है तो क्यों हम लोग भी आपस में लेन देन कर लेते है क्यों २५ में खरीद

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए