सूरज बनने की ख्वाहिश है यहाँ सबको ,, सूरज की तरह कोई तपना नही चाहता !!
"आँखे भी खोलनी पडती है रोशनी के लिए,
महज़ सूरज निकलने से अंधेरा नहीं जाता."....!!!
माना की बेटियो की कमी है समाज मे,,
पर केवल इसका रोना रोने से अनुपात बढ़ नही जाता !!!
बीमारी के कारणों को पहचानना होगा ,,
दहेज़ का विरोध किये बिना समाधान हो नही सकता !!!
शहीदो की शहादत पसंद है सबको ,,
अपने घर से शहीद कोई