डगर डगर,
गुलशन चली !
बहकी हुई बयार !
डाल डाल,
तितलियों के,
मदहोशी उदगार !
फूल फूल,
मुसकान है,
भृमर करें सतकार !
कली कली,
करती मलय !
मान मेरी मनुहार !
खिल खिल,
तुझे रिझाऊंगी,
कल है अपनी बार !
ठहर ठहर जा,
पवन बस !
इक दिन मेर द्वार ! !
20 अक्टूबर 2016
डगर डगर,
गुलशन चली !
बहकी हुई बयार !
डाल डाल,
तितलियों के,
मदहोशी उदगार !
फूल फूल,
मुसकान है,
भृमर करें सतकार !
कली कली,
करती मलय !
मान मेरी मनुहार !
खिल खिल,
तुझे रिझाऊंगी,
कल है अपनी बार !
ठहर ठहर जा,
पवन बस !
इक दिन मेर द्वार ! !