मैं जीतकर शिखरों पर चढ़ना नहीं चाहता।
डर नहीं है चढ़कर गिरने का मुझको।
हुनर है आगे बढ़ने का मुझको।
लेकिन कोई मेरा सहसा हार न जाए।
वह चढ़ना नहीं जानता कहीं चढ़कर गिरै
और मौत हो मेरे सामने वह जीवन हार न जाए
दर्द के समंदर में हूं और मौजे उफान भी मारते हैं
तूफान में धैर्य रखने वालों से तूफान भी हारते हैं।
पर मेरे सहसे में साहस नहीं है और धैर्य भी कम होता है कहीं यह तूफान उसको उस पार न ले जाए
मैंने इस अनंत से आंख मिचोली खेली है मैं जानता हूं अंधेरे से भी लडता हू पर मेरे सहसे में अंधेरे में घबरा जाने की आदत है और जलता हूं उसको रोशनी देने के लिए और मैं जलने से घबराता नहीं हूं
मैं स्वयं में आग हूं पर मेरा सहसा मेरा चंद्रमा है।
डर है इस बात का सहसा मुझसे दूर ना हो जाए।