ए मेरे ज़ख्म तु ठिक ना होना
तेरे आने से मेने किसी को याद किया हुं
रोती हुई आँखो ,सिसख्ती हूं शास ,अटकती
हुं आवाज़ से किसी को याद किया हूं
आज में फ़िर अपने रब को याद किया हुं।
ए मेरे ज़ख्म तु ठिक ना होना
तेरे आने मेरी खेर खबर लेने फरिस्तें आए है
मेरे रब ने भेजा हैं मेने रोती हुई आँखो से ,
फ़िर अलहम्दुलिल्लाह पढ़ा हैं
तेरे आने से ये एजाज़ मिला हैं
ए मेरे ज़ख्म तेरे आने से ,
मैं ने किसी को पुक़ारा हूं
रोती हुई आँख, अटकती हुई आवाज़
से या रसूल अल्लाह पुक़ारा हुं
ए मेरे ज़ख्म तुझ से गुजारिस है
तु ठिक ना होना
सुख ने सब भुला दिया था
तेरे आने से याद आया है
तु ठिक ना हो जाना