मेरे दोस्त मेरे रुख़शत पे मेरी कहानी लिखना।
कैसे बर्बाद हुआ आशिक़ बस अपनी जुबानी लिखना।
लिखना की, कैसे सीने पे दरिया लिए फिरता था।
कैसे सूख गया ऑंख से पानी लिखना।।
लिखना की ,उमर भर सिर्फ उसके लिए दुआ की है।
न माने तो मेरे हांथो की निशानी लिखना।
लिखना की, उसके दिल मे भी मैं धड़कता था।
फिर मेरे टूटे हुए सांसों की रवानी लिखना।
मेरा घर मेरे आमद पे ठिठक जाता है।
कैसे जाता हूँ मेरे पैरों की निशानी लिखना।
लिखना ,मेरे कलम से हर बार तस्वीर उसकी बनी।
कैसे सूख गया कलम का पानी लिखना।
मेरा जिस्म,मेरी रूह उसके बगैर अधूरी रहेगी।
कैसे बर्बाद हुआ मेरी जवानी लिखना।।
लिखना की ,वो लिपटी रहती है मुझसे मेरी आदत की तरह,
कैसे छुड़ाता हूँ मैं हाथ परेशानी लिखना।
लिखना की ,वो चाह के भी जुदा हो न पाएगी मुझसे,
मेरी चाहत और उसके आंख क पानी लिखना।।
मेरे दोस्त मेरे.....
देव