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मेरे मन के प्रश्‍न

14 अप्रैल 2022

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कुछ दिनाें से मेरे मन में कुछ प्रश्न घूम रहे हैं। मेरे इन प्रश्नों का उत्तर शायद किसी के पास हो - 

नौ दिन मुर्गा या बकरा नहीं खाने के पीछे क्या औचित्य है ? 

अगर साल भर मांसाहार का सेवन उचित है तो फिर नौ दिन अनुचित क्यों ?

और अगर नौ दिन नहीं खाना चाहिये तो फिर तो साल भर भी नहीं खाना चाहिये !

ये तो अचरज की ही बात है कि साल भर कुछ भी खाओ और नौ दिन साधु बन जाओ ! साल के बाकी दिन कुछ भी करो और नौ दिन सात्विकता का, पवित्रता का मुखौटा ओढ़कर भगवान के सामने बैठ जाओ. हम आखिर किसको धोखा देते हैं ? ये वैसा ही है जैसे सौ - सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।

अगर अपनी त्यागने की क्षमता की जांच ही करनी है तो फिर केवल नौ दिन ही क्यों ? अट्ठारह दिन क्यों नहीं और फिर अट्ठारह महीने या अट्ठारह साल क्यों नहीं !

इन नौ दिनों में मांसाहार नहीं करने से आपके जीवन में ऐसी कौन - सी क्रांति आ जायेगी जिससे साल के बाकी दिन सुखमय हो जायेंगे ?

ऐसा नहीं लगता कि ये केवल आडम्बर भर है क्योंकि जो - जो लोग नौ दिन मांसाहार का सेवन नहीं करते हैं वे दसवें दिन बड़ी योजना के साथ और अधिक मात्रा में मांसाहार लेते हैं। ऐसा लगता है कि जैसे किसी तरह से नौ दिन स्वयं को रोक लिया था और उसके बाद तो बस टूट पड़े.....!

कुछ व्यक्तियों को मैंने देखा है कि वे कबूतरों को दाना खिलाते हैं, कुत्तों को पालते हैं, उनके लिये बड़ी - बड़ी व्यवस्थायें करते हैं लेकिन, मुर्गा और बकरा को मार कर खा जाते हैं। जानवरों और पक्षियों में इतना भेदभाव आखिर क्यों ? प्रेम है तो सभी के प्रति होना चाहिये या फिर एक से इतना प्रेम कि उसे सिर - आंखों पर बिठाया जाये और दूसरे से इतनी घृणा कि उससे उसके जीने का अधिकार ही छीन लिया जाये !

मुझे लगता है कि जो लोग इस तरह का व्यवहार करते हैं उन्हें इस बारे में एक बार सोचना चाहिये। 

वैसे, जीवन आपका है, आप किस तरह से जीते हैं ये पूर्णतः आपकी पसंद पर निर्भर है, फिर भी मेरे मस्तिष्क में जो बातें थीं वो मैंने यहाँ पर रख दीं, कौन, कितना प्रभावित होगा, यह मेरे सोचने का विषय नहीं है।

- एकता बृजेश गिरि

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भारती

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बहुत ही बढ़िया 👏👏

15 अप्रैल 2022

एकता बृजेश गिरि

एकता बृजेश गिरि

15 अप्रैल 2022

जी, शुक्रिया.

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