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मेरी प्यारी माँ

9 मई 2016

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मेरी प्यारी माँ

मीनू आठ साल की बालिका है. वह हर समय अपनी माँ के बारे में सोचती रहती है. उसके मन में ढेरों सवाल आते हैं. अपनी डायरी से वह ढेरों बातें कर लेती है.

प्यारी डायरी

मुझे तो नींद इतनी प्यारी लगती है पर माँ को ? जब सब सो रहे होते हैं तो जाने कैसे माँ  इतनी सुबह उठ जाती है. सुबह से ही कितने काम कर लेती है. पता नहीं माँ ने इतना काम करना कैसे सीखा ! खाना भी इतना स्वादिष्ट बनाती है कि पूछो मत. टिफिन खोलते ही मेरी तो सहेलियां ही सब  चट कर जाती हैं. अखबार में जाने क्या क्या लिखा होता पर मेरी माँ को तो  सब पता होता है. कितना कुछ जानती है माँ! मेरा होमवर्क करना हो या क्राफ्ट  का कोई काम हो  माँ तो मेरे साथ बैठकर सब करवा देती है. मेरी छोटी बहन जब से हुई है मेरी माँ और भी व्यस्त हो गयी है. मुझे कभी -कभी अपनी बहन पर गुस्सा भी बहुत आता है, पर सच बताऊँ  तो उससे ज्यादा प्यार भी आता है. माँ तो पता नहीं कैसे इतनी थकी होने पर भी हम दोनों से इतना प्यार कर लेती है. मुझे तो ढेरों कहानियाँ सुनाती है माँमेरी बहन को तो कुछ समझ नहीं आता फिर भी वह मुस्कुराती रहती है. माँ तो ऑफिस में काम भी करती हैंइतनी लम्बी साड़ी जाने कैसे पहन लेती है. कई बार सूट भी पहन  लेती है पर मुझे वो साड़ी में बहुत सुन्दर लगती है. माँ के पास भी तो दो हाथ हैं पर वो तो ढेरों काम जाने कैसे कर लेती है. मैं भी माँ को खुश रखती हूँ.उन्हें कभी तंग नहीं करती. जो काम मुझसे होता है उन्हें  मैं कर लेती हूँ  जो नहीं आता माँ  से पूछ लेती हूँ . अपना  बस्ता लगाना  , अपने जूते पोलिश करना। अपने खिलौनों से खेलने के बाद उन्हें समेटकर रख देती हूँ।  अपने छोटे छोटे काम खुद कर लेती हूँ माँ की बेटी हूँ मैं भी बड़े होकर माँ जैसे ही बड़ी अफसर बनूँगी।  कभी नहीं थकूंगी। माँ बहुत अच्छी है । पापा तो हैं नहीं , पर माँ मुझे उनकी कमी महसूस नहीं होने देती।  मेरी माँ बहुत प्यारी है न मेरी डायरी  ।

 उषा छाबड़ा

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