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मिलते रहेंगे हम तुम

6 नवम्बर 2021

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मिलते रहेंगे हम तुम

यूँ ही सुबह शाम

करते रहना है हम दोंनो को

मिलकर ये सब काम


मुरझा गया था जो पौधा(मैं) जेठ की धूप में(विरह में)

खिल उठा है पाकर सावन की फुहारों को(आपका प्रेम)


बदलते रहेंगे ये मौसम यूँ ही

जन्मों जन्म से हैं जिनका यही काम

पर आप न बदलना बनकर बिजली

बरना फ़िर रोशन जिन्दगी से चली जायेगी उजियाली।


हैं तमन्ना दिल में अगर आपके कुछ भी

बस एक बार हमें बता देना आप

ख़ुद को बनाकर फूल

बिछ जाएंगे कदमों में तेरे

राहों में कांटों को आपकी आने न देंगे।

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