एक चिड़िया है खूबसूरत सी
रहती है रात दिन पिंजरे में
किसी से कुछ न कह पाती है
रहती है हमेशा गुमसुम सी।
दिए हैं रंगीन पंख ख़ुदा ने उसको
औऱ दिलों में है अरमां कई
कैसे उड़े आसमां में सोचे हर पल
अरमानों के बहते हुए आँसू
लगता है जैसे हो किसी से जुदा।
हैं उसमें आसमां की असिन बुलन्दियों को छूने की चाहत
पर न जाने क्यों हिम्मत नहीं कर पाती है, रहती है गुमसुम सी।
एक चिड़िया खूबसूरत सी.......
फ़िर खुदा ने ख़ुद ही उससे कहा
रख कर मुझ पर भरोसा पूरा पूरा
उड़ जा दूर क्षितिज में जहाँ तक
तुझको है उड़ना, असली उड़ान तो होती है हौसलों से पंखों में तेरी इतनी दम कहाँ।
एक चिड़िया खूबसूरत सी........
प्रेम के रंग में रँगकर हुई मीरा दीवानी तू भी रँगले ख़ुदको
हो जा किसी की मतवाली
फ़िर देख कैसे खिलती है
तेरी ज़िन्दगी में फुलवारी।।