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मोबाइल में फंसकर छिन रहा, मासूमों का बचपन

28 अक्टूबर 2021

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मोबाइल में फंसकर छिन रहा, मासूमों का बचपन

-मोबाइल बच्चों से न सिर्फ उनका बचपन छीन रहा रहा है, बल्कि उनको बीमार भी बना रहा है। हम स्वयं ही इन मासूमों के हाथ में मोबाइल देकर उनका हँसता खेलता बचपन बर्बाद कर रहे हैं। अगर हम नहीं चेते तो परिणाम बुरे होंगे। आज के इस आधुनिक युग में मोबाइल और इंटरनेट ने एक ओर जहां लोगों का काम आसान किया है तो वहीं लोगों की मुश्किलों को भी काफी हद तक बढ़ा दिया है। अब मोबाइल जीवन का अभिन्न अंग बन गया है, जिसके बिना रह पाना मुश्किल हो रहा है। वहीं इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि मोबाइल लोगों के एकाकीपन का बड़ा सहारा बन गया है। इसके बिपरीत लोगों में इसकी वजह से दूरियां भी बढ़ी है। बोरियत दूर करने के लिए लोग घूमने फिरने और मित्रों से बात करने की बजाय मोबाइल पर व्यस्त रहना ज्यादा पंसद करते हैं। कभी घंटों तक परिवार के साथ बैठकर टीवी पर फिल्म और सीरियल देखने वाले लोग अब अपने-अपने मोबाइलों में व्यस्त नजर आते हैं। गली मोहल्ले के नुक्कड़ पर बैठकर गप्पशप करने वाले युवा भी अपने दोस्तों से दूर हो चुके है। ऐसे में इस आधुनिक उपकरण से बच्चे भी कहां दूर रहने वाले थे। इन मासूमों की पढ़ाई से लेकर खेलकूद और मनोरंजन मोबाइल में ही सिमट कर रह गया है। बच्चों में मोबाइल की ऐसी लत लगी है कि उनकी पूरी दिन चर्या मोबाइल पर ही निर्भर हो गई है। जिसके दुष्परिणाम चिंताजनक हैं। अब बच्चे परिवार के बड़े बुजुर्गों से कहानी नहीं सुनते और न ही गली मोहल्ले में शारीरिक रूप से दौड़ भागकर खेलना पसंद करते। मोबाइल बच्चों से न सिर्फ उनका बचपन छीन रहा रहा है, बल्कि उनको बीमार भी बना रहा है। इसकी वजह से बच्चे चिड़चिड़ापन और कई मानसिक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। उनके बौद्धिक और शारीरिक विकास को नुकसान पहुंच रहा है। मोबाइल से निकलने वाली रेडियो तरंगे दिमाग पर गहरा असर डाल रही हैं। उनकी नाजुक आँखों को भी नुकसान पहुंच रहा है। यहां तक मोबाइल पर खेले जाने वाले ऑनलाइन गेमों का बच्चों पर इतना गहरा असर पड़ा है कि वह असफल होने पर आत्महत्या जैसे घातक कदम उठा बैठते हैं। इसके बाद भी हम बच्चों को मोबाइल से दूर रखना नहीं चाहते। हम अपने व्यस्त जीवन में बच्चों को समय न देकर उनके हाथों में मोबाइल थमा देते हैं। ऐसे में हम कह सकते हैं कि बच्चों के हाथों में मोबाइल सौंपकर अपने ही उनका हँसता खेलता बचपन बर्बाद कर रहे हैं।

:-शिवाकर विद्यार्थी, रजपुरा संभल

संपर्क सूत्र:- 9720316060

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बढिया लेख है।

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