बेटी होने की खुशखबरी शायद ही कोई सुनना चाहता हो। बेटी होने वार मायूसी हर मां-बाप के चेहरे पर दिखती है। बचपन में माता-पिता के भेदभाव, शादी के बाद दहेज हत्या और बुजुर्ग होने के बाद अपने ही बच्चों से उपेक्षा यह सब बेटियां कैसे झेलती हैं, शायद ही इसका अंदाजा कोई लगा सके। कहीं दहेज की चिंता के कारण तो कहीं उनके साथ बढ़ते अपराध के कारण या कहीं वंश चलाने के लिए बेटे की चाह ने बेटियों की चाहत कम कर दी है। मगर लोग नहीं जानते कि कितनी ही मुश्किल हो, हर क्षेत्र में बेटियां आगे बढ़ रही हैं। वे सच्ची फाइटर हैं वे हार मानने के लिए तैयार नहीं हैं।