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वरिष्ठ उप संपादक लेखन मेरा धर्म

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‘मुबारक हो बेटी हुई है।’

4 फरवरी 2015
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बेटी होने की खुशखबरी शायद ही कोई सुनना चाहता हो। बेटी होने वार मायूसी हर मां-बाप के चेहरे पर दिखती है। बचपन में माता-पिता के भेदभाव, शादी के बाद दहेज हत्या और बुजुर्ग होने के बाद अपने ही बच्चों से उपेक्षा यह सब बेटियां कैसे झेलती हैं, शायद ही इसका अंदाजा कोई लगा सके। कहीं दहेज की चिंता के कारण तो

मेरा पहला दिन

31 जनवरी 2015
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शब्दनगरी बनाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद..... मुझे जैसे की पता चला कि हिन्दी में लेखन के लिए एक बेवसाइट बन चुकी है मेरे तुरन्त ही हिन्दी प्रेमियों को बताया और अपना भी खाता इसी बेवसाइत पर खोल लिया। आज मेरा पहला दिन है। आगे अपने लेखन को जारी रखूंगा..... अब इस परिवार का शदस्य हो गया हू.

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