आज बताता हूँ सबको मे दिल की बात,एक सूरज है तो दूजा चांद, सरहदों ने खींच तो दी ये लकीरें, फिर से जोड़ना है हमें मुहब्बत का बांध,चोट लगी है मुझको तो जख्म उसे भी मिला है,इस नफ़रत की आग ने दोनों को ही छला है,मुहब्बत खिलती है दोनों तरफ़, फिर क्यों दोनों के दिलों में शिकवा है?