दूरियाँ इसलिए होती हैं ताकि वहां पहुंचा जाए... और उन दूरियों के मापने के दरमियान जो भी वक्त लगते हैं वे सब आपके नाम करना चाहते हैं।
मेरे प्यारे दोस्तों को दिल से सलाम करते हैं और उनके दुआओं को हृदय में बसाते हैं। हम लोग कितना नसीब वाले हैं खुद को ही उस अंजाम के हवाले करते हैं। नसीब को अगर खुद बनाया जाए तो आपके रास्ते खुद व खुद बनकर मंजिल तक पहुँचने में सुलभ हो जाते हैं। भरोसा उसी का होना चाहिए जो आपने खुद उस किरदार को निभाया हो।
फिर से एक बार अपनों को शुक्रिया अदा करते हैं जिन्होंने मुझे अपने हृदय में जगह दिये हैं। और अपने कदमों को मेरे नन्हें से कदमो का भरपुर साथ देने की वकालत की है अपने हृदय की जज के साथ।
धन्यवाद! 🙏