एक पुरानी कहावत है - उत्तम कृषि मध्यम बान । निषिद्ध चाकरी भीख निदान ।। इसका मतलब यह है कि पहले जमाने में खेती को उत्तम माना जाता था । बान का अर्थ वाणिज्य है । इसे मध्यम माना जाता था । चाकरी मतलब नौकरी । इसे सबसे बुरा माना जाता था । और उससे भी बुरा भीख को माना जाता था । परन्तु आज इस सोच में बदलाव आ गया है । आज कृषि कार्य और उसमें लगे किसानों की स्थिति सबसे बुरी है । अच्छे खाद-बीज, सिंचाई साधन और उनके उत्पादों के लिए सही बाजार के अभाव में उनकी खेती से इतना भी उपार्जन नहीं हो पाता है कि वे लोग अपना गुजर-बसर भी ठीक से नहीं कर पाएँ । उनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और शादी-ब्याह के लिए उन्हें कर्ज के बोझ तले दबे रहना पड़ता है ।
जहां तक नौकरी की बात है, तो इसके बारे में कहा जाता है कि भगवान मिलना आसान है, पर नौकरी मिलना आसान नहीं है । नौकरी पाने के लिए कम-से-कम 15 वर्षों तक अच्छी तरह पढ़ाई, करना पड़ता है । फिर कठिन परीक्षा पास करने के लिए कंपटीशन की तैयारी करनी पड़ती है । जी-जान से तैयारी करने के बावजूद भी परीक्षा पास कर लेने की गारंटी नहीं होती । पास कर लेने पर भी नौकरी मिल ही जाएगी यह निश्चित नहीं रहता क्योंकि एक ही पद के लिए अनेक उम्मीदवार रहते हैं । अगर नौकरी मिल भी गयी, तो कम वेतन और उस वेतन में मंहगाई की मार झेलते जिन्दगी गुजारने में काफी मुश्किल होता है । कुछ लोगों का तो यहां तक मानना है कि पढ़ाई-लिखाई में जितना खर्च होता है उसके ब्याज के बराबर वेतनवाली नौकरी भी अधिकांश लोगों को नहीं मिल पाती है । समूची दुनिया के लिए यह बात लागू होती है कि नौकरी करनेवाला व्यक्ति कभी अमीर नहीं बन सकता । उसे अभाव में ही जिंदगी बितानी पड़ती है । उनका अधिकांश काम बैंक लोन के भरोसे होता है । अब तो रिटायर्मेंट के बाद पेंशन भी बंद हो चुका है । इसलिए बुढ़ापे में अधिक आर्थिक तकलीफ होना पक्का है । इसके बावजूद पढ़ाई-लिखाई करनेवाले अधिकांश लोग नौकरी पाने को पहले नंबर पर रखते हैं - नौकरी नहीं मिलने पर कुछ और करने खुद को मनाते हैं ।
अब बात आती है बिजनेस की । तो पहले जमाने में इसे मध्यम दर्जे में रखा जाता था । पर आज बिजनेस जीविकोपार्जन का सबसे अच्छा साधन बन गया है । दुनिया का सर्वे बताता है कि जितने लोग अमीर हैं वे लोग बिजनेस की बदौलत ही हैं । लेकिन बिजनेस करना भी कम कठिन नहीं है । इसके लिए मोटी पूँजी, अच्छी जगह और हेल्पर की जरूरत होती है । इतनी चीजों के बाद इसके कम चलने या नहीं चलने की संभावना भी रहती है । चलने पर भी उधार, मंदी, बंद, हड़ताल, लॉकडाउन और सरकारी नियमों में बदलाव से परेशानी का डर रहता है । कंपटीशन का खतरा भी रहता है । बिजनेसमैन के पास पर्याप्त पैसे हो सकते हैं । परन्तु उनके पास समय की किल्लत हमेशा रहती है । जो जितना बड़ा बिजनेसमैन होता है उसके पास उतना कम समय होता है । लेकिन आधुनिक तरीके के बिजनेसमैन की जिंदगी परंपरागत बिजनेसमैन की जिंदगी से बेहतर होती है । नये बिजनेस के सिद्धांत के अनुसार बिजनेस अपना होना चाहिए, बिजनेस रोज खपत होनेवाली चीजों का होना चाहिए, बिजनेस ऐसा होना चाहिए कि इनकम के स्रोत एक से अधिक हों और बिजनेस नकल करने लायक होना चाहिए । इन बातों का ध्यान रखकर जो बिजनेस करता है उसके पास पैसों के साथ समय और सुरक्षा भी मौजूद रहता है ।
आधुनिक युग में नेटवर्किंग बिजनेस भी जीविकोपार्जन का बहुत अच्छा साधन बन चुका है । यह परंपरागत बिजनेस से बिल्कुल अलग होता है । जो जितना बड़ा बिजनेसमैन होता है उसके पास उतने अधिक पैसे, समय और सुरक्षा मौजूद होता है । लेकिन इस बिजनेस में सफल होने के तरीके सीखने पड़ते हैं । जो सीखी हुई बिन्दुओं को जितना अपने बिजनेस में इस्तेमाल करता है वह उतना सफल बिजनेसमैन होता है । इसमें मामूली पूँजी लगती है । जगह और हेल्पर की जरूरत ही नहीं पड़ती । मंदी, बंदी, हड़ताल और कंपटीशन का कोई डर नहीं रहता । इसके ग्राहक समूची दुनिया से कहीं के भी हो सकते हैं । यहां समय की आजादी होती है । यह अमीर बनने का बहुत ही अच्छा रास्ता है ।