बैरिक का लॉकअप होते ही जैसे समय थम सा गया। कल तक मुझे केवल अपनी ही परेशानियाँ दिखाई दे रही थीं, लेकिन अब ऐसा महसूस हो रहा है कि समाज के आईने पर जमी धूल धीरे-धीरे साफ होने लगी है। समाज में छिपे स्वार्थ
जेल का दूसरा दिन सुबह की पहली किरण के साथ ही मेरे मन में सबसे पहले माँ, मानसी और अथर्व की चिंता कौंधी। यह सोचकर दिल भारी हो गया कि मेरा परिवार इस अन्याय को कैसे सहन कर रहा होगा। मानसी न बोल सकती ह
मेरे घर का निर्माण कार्य चल रहा था, लेकिन तभी मेरी नानी की तबियत खराब हो गई। उन्हें कैंसर की शिकायत थी और उनका इलाज चल रहा था। मैंने सोचा था कि मेरे घर का निर्माण होने से पहले नानी की तबियत ठीक हो जा
संयुक्त परिवार का महत्व हमारे घर पर एक पुराना लैंडलाइन फोन था। एक दिन अचानक उसकी घंटी बजी। मैंने फोन उठाया तो दूसरी तरफ एक महिला की आवाज आई। उसने मेरा परिचय पूछा, और जब मैंने अपना नाम बताया, तो उसने
😞😞😞Injustice😞😞😞 आज मेरी बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी थी। कक्षा 10 की वार्षिक परीक्षाएं प्रारंभ हो चुकी थीं। मैं प्रातः शीघ्र ही तैयार होकर केंद्र पर पहुंचा। बच्चे अपने अनुक्रमांक देखकर परीक्षा कक्ष
ऐ नारी तू नास्तिक कैसे हो गयी तू तो आस्था की प्रतिक थी उषा-काल में तू तुलसी की पूजा किया करती थी तेरी अनुपम सूंदर वाणी से भोर हुआ करती थी तू अपने ही घर परिवार क
स्री बुद्ध नहीं बन सकती - /औरत बुद्ध नहीं बन सकती !! एक कट्टर धार्मिक समुदाय की ओर से एक घोषणा ../मेरी प्रतिक्रिया/परन्तु स्री को बुद्ध बनने की , बुद्ध होने की आवश्यकता क्
स्थिर हो जाओ , उफनती - उठती गिरती लहरों को - नियंत्रण कर लो , मुस्कराओ , शांत हो जाओ , झील बन जाओ - कँवल के फूल खिलाओ , पक्षियों को निमंत्रण भेजो , मंद मंद बहती हवा को प्रेम से पुकारो , बच्चों
मोहब्बत का महीनामोहब्बत में जान क़ुर्बान कर गये !वो अपनी पूरी ज़िंदगी, देश के नाम कर गये !नहीं सोचा बच्चों का , पत्नी को बेसहारा छोड़ गये !कहते हैं मोहब्बत इसे, अंतिम साँस तक लड़ गये !ह
सावित्री बाई फुले - नारी मुक्ति आंदोलन की प्रणेता, देश की पहली महिला शिक्षिका की जयंती है, जानें उनके संघर्ष की कहानीसावित्रीबाई फुले को समाज सेविका, कवयित्री और दार्शनिक के तौर पर पहचाना जाता है। लेक
दोहे—मीरा दीवानी हुई , श्याम दिखे चहुँओर ।विष प्याला अमृत हुआ,श्याम समाए कोर ॥मीरा की वाणी बसे, सप्त सुरों का मेल ।कृष्ण भजन में रम गई,राणा खेलें खेल ॥दासी मीरा हो गई,कृष
कबीरदास की जीवनी कबीरदास जी ने हिंदी साहित्य की 15 वीं सदी को अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रेष्ठ बना दिया था। वह ना केवल एक महान् कवि थे, बल्कि उन्होंने एक समाज सुधारक के तौर पर भी समाज में व्याप्त अंधव
भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम हमारे देश के प्रख्यात वैज्ञानिक हैं जो भारत गणराज्य के राष्ट्रपति रह चुके हैं। उनका पूरा नाम है अवुल पकीर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम। वे भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति रहे
जिंदगी के हर अहसास के,अंदाज निराले होते हैं।प्रकृति यह है मनुष्य की,कभी हंसते कभी रोते हैं।।दोस्ती:-दोस्ती है प्रेम का रिश्ता,जो दिल में पैदा होता है।हर मनुष्य के जीवन में,एक सच्चा दोस्त होता है।।जहां
मुखौटा लगाये हुए लोग दुनिया में घूम रहे हैं। मुंह में राम बगल में छुरी को मुकाम दे रहे हैं।। हर वक्त डर लगता है अनजान लोगों से। विश्वास का कत्ल हो गया कुछ सदियों से।। अनजान ही पहचान वाले भी बदल गये है
कुश(तिनका) को मत समझो छोटा,यही खग नीड़ बनाता है।तरू की डाल पर तिनका,सुंदर खग नीड़ बनाता है।।किसी के सपनों का श्रृंगार ,किसी के जीवन जीवन का घर-बार।किसी के जीवन का मकसद,कुश का महत्व भिन्न-भिन्न सार।।तृ
करें संकल्प हम ऐसा, काम परहित में हम आये।। तोड दें सारे बंधन हम,पार दुष्कर पथ कर जाये।। हाथ से हाथ मिलाकर अब, हमें अति दूर जाना है। ठोकरें खाकर पडे हुए, हमें उनको उठाना है।। फैला जहां राज तम का है,सदा
हर सुबह हमें नया संदेश देती है।नये जीवन के लिए नई सांस देती है।करती है हर दिन भानु का अभिनन्दन।शशि की विदाई कर शुरुआत करती है।।हमें कहती हैं उठो जागो और बढो मंजिल की ओर।खग चहचहाने लगे हैं तरू पर हो गय
डॉक्टर है समाज का गहना,सदा इन्हें आदर ही देना ।बिन इनके सहयोग के मानो,स्वस्थ समाज एक है सपना।।डॉक्टर का जीवन तो देखो,इतना नहीं होता आसान।पूरी ताकत झोंक कर अपनी,बचाते हैं मरीजों की जान।।रख देते हैं ताक
बरसात के दिन आते ही किचन की खुली खिड़की से रह-रहकर बरसती फुहारें बचपन में बिताए सावन की मीठी-मीठी यादें ताज़ी करा देती है। जब सावन आते ही आँगन में नीम के पेड़ पर झूला पड़ जाता था। मोहल्ले भर के बच्