नारी
नारीस्नेह की धारा है वह, है वात्सल्य की मूर्ति वीरुध वही,वन वही, कालिका की वो पूर्ति राष्ट्र , समाज और परिवार को वो समर्पित स्व - पर, हित को करती प्राण भी अर्पित वाणी वही, गिरिजा वही, है दामिनी भी वहकल्पना वो, प्रतिभा वही है कामिनी भी वहकिरन है वह, है सुभद्रा , है महादेव