नया साल मुबारक हो मेरे वतन के साथियों।
खुशी सबको मुबारक हो मेरी बज्म के साथियों।।
गुल हम हैं और यह है गुलिस्तां हमारा।
कभी रंजे ग़म न लाना मेरे चमन के साथियों।।
रहे गर्दिश पे इस वतन का बुलन्द सितारा।
हो जाना कुर्बान तुम दिलों जां से साथियों।।
सुर्ख रंग न समझ ले लख्ते जीगर को।
नक्शे कदम तक है मिटाना दुश्मन के साथियों।।
माँगो दुआएँ बहार ही बहार रहे चमन में।
मुस्कराना तुम मुस्कराते जाना अमन के साथियों।।
हश्र में वहशत न छोड़ेगा अयोध्या 'जहरीला'।
राजे फ़ना को न देखेंगे मेरे वतन के साथियों।।
सर्वाधिकार सुरक्षित -
डॉ. गोरधनसिंह सोढा 'जहरीला'
बाड़मेर राजस्थान