shabd-logo

निन्दा रस (गज़ल) इतना मीठा तो दुनिया में निन्दा रस नहीं।

2 दिसम्बर 2021

23 बार देखा गया 23

इतना मीठा तो दुनिया में निन्दा रस नहीं। 

फिर भी इसे करने में कोई आलस नहीं।। 


पीठ पीछे तो इसका रूतबा ओर बढता है। 

चलने लगी जुबां फिर उसपे काबू वश नहीं।। 


मौका मिलते ही इसका आनन्द चाव से लेते। 

सबको मालूम पर निन्दा से मिलता यश नहीं।। 


'जहरीला' लेने हो तो अच्छे रस लिया करे। 

दुनिया में निन्दा रस से घटिया रस नहीं।। 

सर्वाधिकार सुरक्षित -

डॉ. गोरधनसिंह सोढा 'जहरीला'

बाड़मेर राजस्थान

Gordhansingh Sodha 'jahreela' की अन्य किताबें

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए