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नया साल

1 जनवरी 2022

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ग़ज़ल

छोड़ा है साल मैंने नये साल में
दिल वही है पुराना नये साल में ।

भूले से भी भूलाना न इस प्यार को,
शय सभी तुम बदलना नये साल में

हम दवामे मुहब्बत न भूले कभी,
करते हैं एक वादा नये साल में।

मुश्त ए ख़ाक में है मेरी ज़िंदगी,
देश पर वार देंगे नए साल में ।

टूटी हैं ख़्वार कश्ती लिये बस्तीयाँ
पतवारें फिर चलाना नये साल में।

वक़्त को क्या लिखेगा बशर तू कभी,
वक़्त खुद को लिखेगा नए साल में।

ज़िंदगी जीत जायेगी तुम देखना,
मौत का टूट जाना नए साल में।

कोरोना ने उजाड़ी है बस्ती कई,
ज़िंदगी फिर सजाना नये साल में ।

अपनी जाँ हम निसारेंगे तुम पे वतन,
तुम ज़मीं को बसाना नये साल में।

हो मुबारक सभी को ये जश्ने सदी,
फिर सभी मुस्कुराना नए साल में।

प्रज्ञा देवले✍
    31-12-21
(स्वरचित मौलिक रचना) _

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