उस नीलम की संध्या में वो वो वो तारों
हम तुम
दो
तारों
जैसे
घनी
चाँदनी
शीतल
वो कथा
कहानी
से
पल
वो नर्म
दूब
की
शबनम
वो पुनर्जन्म
सा मौसम
मलय
समीरण
झोंके
जीवन
पतवारों
जैसे
उस नीलम
की
संध्या
में
हम तुम
दो
तारों
जैसे
चाँद
का
मद्धम
तिरना
वो रात का रिमझिम गिरना
वो मौन का कविता करना
औ' बात का कुछ न कहनाके
जगमग
दीपक
नभ बंदनवारों
जैसे
उस नीलम की संध्या में
हम तुम
दो
तारों
जैसे