दोस्त तुम हो...
तारे जैसे बहुत दूरपरसाथ साथ हर रोजदोस्त तुम होफूलों की मनरची गंध सेतितली के अभिनमित पंख सेहर दिन हफ्ता सालमुदित मुस्काएदोस्त तुम होसुबह की धूप कि जैसे समा न पाए अँजुरी में परमन घर आँगनसभी जगह बिखराएदोस्त तुम होजीवन के गहरे सागर की तलहटियों में पलने वालेसपनों को दे दिशासत्य पर मदिर मदिर तैराएदोस्त तु