पानी का घर
शादी ब्याह तो हम अक्सर देखते हैं कुछ लोग के घर टूट भी जाते हैं और बहुत के बस भी जाते हैं। कई घर तो मात्र आर्थिक तंगी के कारण टूटा है जिसमें पतिदेव को डर लगा रहा है कि कहीं मेरी पत्नी मेरा घर छोड़कर किसी अमीर से ना शादी कर ले । और अभी-अभी तो ऐसा देखने को मिल जाता है। खैर क्या कर सकते यही तो जिन्दगी है। वैसे आपने कभी सुना है कि किसी घर मात्र इस लिए उजर गया क्योंकि वह पानी की आपूर्ति नहीं कल पता था तो चलिए आज मैं सुनाती हूँ एक ऐसा ही किस्सा....
फालतू खफ्त नाम का गाँव हुआ करता था जिसमें वर्तमान समय में दूर-दूर तक पानी का कहीं कोई नामोनिशान तक नहीं, ऐसा नहीं है कि यह गाँव शुरू से ही ऐसा था, पहले एक समय था जब यहां पर बेसुमार पानी हुआ करता था और लोगों में उसे खर्च करने करो जल्दी भी उतनी ही थी, तभी तो जहां ग्लास भर पानी में काम चल सकता था वहां पर यह लोग बिल्टी भर पानी का इस्तेमाल किया करते थे। तभी आज शंकर का घर टूटने की स्थिति तक आन पड़ी बात कुछ यूँ हुआ.... कि उसकी पत्नी दिन में कम से कम 10 से 12 लीटर पानी पीने तथा 40 लीटर के लगभग पानी नहाने के लिए मांगा करती थी और गाँव में सुखार होने के कारण वह उसे 5 से 10 लीटर तक ही पानी दे पाता था । जिस कारण उसके घर हर रोज महायुद्ध हुआ करता था। पत्नी समझने को तैयार नहीं थी और पति पानी की आपुर्ति कर नहीं पा रहा था तो आखिर यह घर संसार चले तो चले कैसे? एक दिन शंकर की पत्नी घर से नाराज होकर अपने पड़ोस के गाँव चली जाती है वहां उसे एक व्यक्ति मिलता है जो उसके पानी की मांग को खुशी-खुशी पूरा कर रहा था फिर क्या था शंकर की पत्नी ने फैसला किया कि वह अब उसी व्यक्ति के साथ अपना घर संसार बसाएगी और बिना देर किए उससे शादी भी कर लेती है। जिस बात का धक्का शंकर को काफी तेज लगता है और वह कसम खाता है कि आज के वह कभी भी किसी चिज का फालतू खपत नहीं करेगा। और वह रात दिन एक करके अपने गाँव में इतना सारा पेड़ पौधा लगा देता है जिससे कुछ सालों के अंदर-अंदर उसके गाँव से सुखार की स्थिति भी हट जाती है और अच्छी बारिश भी होने लगती है परन्तु शंकर की पत्नी वापस नहीं आती, वह रात दिन उसी को याद करते रहता है और जैसे तैसे अपनी जिन्दगी काटता है।
Swati